Home सुर्खियां राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट सुनवाई शुरू|

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट सुनवाई शुरू|

कल यानि की 6 दिसंबर 2017 को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने की 25वीं वर्षगांठ है और ठीक उससे एक दिन पहले आज से सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद आज से कोर्ट में अंतिम सुनवाई शुरू होने जा रही है| तीन सदस्यों की विशेष पीठ जिसमे प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर| जो चार दीवानी मुकदमों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 अपीलों पर आज फिर से सुनवाई करेंगे|

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट सुनवाई शुरू|

हाई कोर्ट ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनते हुए | इस विवादित भूमि को इसके तीनो दावेदारों के सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बाटने का आदेश दिया था| उत्तर प्रदेश के सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने इस विवाद के समाधान के लिए कोर्ट से कहा था की अयोध्या में जहा यह विवादित स्थल है उससे कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद का निर्माण करने की सलाह दी|

अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उत्तर प्रदेश के सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के फैसले का बहिष्कार किया और इसे मानने से मना किया| अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड बताया की सन 1946 में ही इस पर दोनों समुदायों के बीच यह फैसला कर इसे मस्जिद घोषित किया था. जिसे बाद में 6 दिसम्बर 1992 में गिरा दिया गया| एक मानवाधिकार समूह ने इस विवाद में हस्तक्षेप करते हुए कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर बताया की यह केवल एक सम्पति विवाद नही, विवाद से कई पहलु जुड़े है और विवाद पर फैसला देश के धर्मनिरपेक्ष होने पर भी असर डालेगा|

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कोर्ट के आदेश को मानते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दस्तावजो की अंग्रेजी के अनुदित प्रति पेश कर दी, जिनको वह दलीलों के रूप में पेश करना चाहती है| बता दें की ये दस्तावेज आठ अलग अलग भाषाओ में है| भगवान राम लला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण और सी एस वैद्यनाथन और अधिवक्ता सौरभ शमशेरी शामिल होंगे| उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता इस सुनवाई के भाग लेंगे|

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अनूप जार्ज चौधरी, राजीव धवन और सुशील जैन अखिल भारतीय सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े की ओर से सुनवाई में हिस्सा लेंगे| सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार को कहा था की दस सप्ताह के अन्दर हाई कोर्ट में इस विवाद से जुड़े सभी साक्ष्यो का अंग्रेजी में अनुवाद कर पेश किया जाए|

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