Elephant Poem in Hindi: आज हम पब्लिक के डिमांड पर आपके लिए एक कविता लेकर आए हैं। इस आर्टिकल में आपको हाथी यानी कि एलीफैंट के ऊपर एक बेहतरीन कविता पढ़ने को मिलेगी। यह एक ऐसी हाथी की कविता है जोकि गर्भवती होती है और उसे भूक लग रही होती है। वह पेट मे भूक लगने के कारण गलती से एक पटाखे को खा लेती है, जिसे कुछ निर्दयी इंसानों ने फल की शक्ल देदी थी। आपको बता दें कि यह घटना केरल की है जोकि एक सच्ची घटना के ऊपर आधारित है। इस कविता को एक पुलिस अधिकारी द्वारा कहा गया है। इस कविता में एक मासूम जानवर का दर्द देखने को मिल रहा है।
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आपको बता दें कि जानवरों के साथ इंसानों की क्रूरता की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। मानवता की इस क्रूरता ने एक हथनी और उसके बच्चे की जान लेली। इसी घटना के दर्द को इस कविता में दर्शाया गया है। आपको बता दें कि ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं जिसमे इंसान के नए प्रयोग और इंसान के मतलबी व्यहवार की वजह से कई बार बेजुबान जानवरो की जान चली जाती है। जानवर को भगवान ने बनाया ही ऐसा है कि वो अपना दर्द किसी के सामने प्रकट नही कर पाते हैं।
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हाथी की कविता | Elephant Poem in Hindi
बचपन में देखा था एक बड़ा सा जानवर
बड़ा था शरीर और बड़ा ताकतवर
लेकिन सबसे प्यारा निराला था वो साथी
पापा ने बताया उसे बोलते है हम हाथी
हाथी मेरे साथी जैसी पिक्चर सबको भाती
फिर क्यों ऐसे जानवर की जान चली जाती
खाना ढूढती उस भूखी माँ ने फल को चबाया
इंसानियत के पटाखे ने उसके जबड़े को उड़ाया
मरते दम तक इंसान को उसने नुकसान नही पहुंचाया
उस बेजुबान ने मानवता का असली पाठ पढाया
तीन दिन तक टूटे जबड़े के साथ खड़ी रही पानी में
अब क्या ही मैं बताऊ उस माँ की कहानी मैं
फिर हथिनी और बच्चा दोनों गये स्वर्ग सिधार
बहुत बड़ा कर्जा हो गया हम पर उधार
इंसानियत तो मर गई अब इंसान कहाँ बच पायेगा
कोरोना, साईंक्लोन, भूकम्प और बाढ़ ही तो आयेगा
अभी संभल जाओ पृथ्वी का न अपमान करो
पेड़, पक्षी और जानवर सबका तुम सम्मान करो
समय बीत जाता है तो फिर लौट न आएगा
ऐसा ही चलता रहा तो 2020 हर साल आएगा.
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आपको बता दें कि आज इंसान अपने मतलब के पेड़ काटता है, जानवरों को मारता है। काश इनके पास भी जुबान होती तो यह भी जिंदगी के कटघरे में खड़े होकर इंसान नाम के दरिंदे को सजा दिलवा पाते। अपने लिए इंसाफ मांग पाते। आज समय जानवरों के साथ है वो इसलिए क्योंकि आजतक जानवर पिंजरे में बंद रहते थे और आज 2020 में इंसान भी मकान नाम के पिंजरे में कैद हुए पड़े हैं। अगर आज भी इंसान सही रास्ते पर नही चला तो आगे चलकर इन्हें कोरोना से बड़ा दंड मिल सकता है। जय हिंद।