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शीतला सप्तमी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, आरती, महत्व

शीतला सप्तमी (Basoda) शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, आरती, महत्व: रंगो के त्यौहार होली के सातवें दिन शीतला सप्तमी मनाई जाती है| शीतला सप्तमी के दिन महिलाएं सूर्य उदय से पहले रात को बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, हल्दी, आदि से होलिका दहन वाली जगह पर जाकर पूजा अर्चना की जाती है| उत्तर भारत में इस पर्व को बासौड़ा या बसोरा के नाम से मनाया जाता है| इस साल बसौड़ा या शीतला सप्तमी 27 मार्च को मनाई जाएगी| जानिए! शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, कथा आदि के बारे में यहाँ-

शीतला सप्तमी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, आरती, महत्व

शीतला सप्तमी 2019

शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त
27 मार्च सुबह 06:28 से 18:37 तक.

चावल का प्रसाद
शीतला सप्तमी के दिन शीतला माता की पूजा के समय उन्हें खास मीठे चावलों का भोग चढ़ाया जाता है. ये चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं. इन्हें पूजा से पहले रात में बनाया जाता है. इसी प्रसाद को घर में सभी सदस्यों को खिलाया जाता है. इस दिन घर में सुबह के समय कुछ और नहीं बनता.

शीतला सप्तमी की पूजा विधि
1. हर पूजा की तरह इसमें भी सुबह पहले स्नान करें.
2. इसके बाद शीतला माता की पूजा करें.
3. स्नान और पूजा के वक्त ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’ का उच्चारण करते रहें.
4. माता को भोग में रात के बने गुड़ वाले चावल चढ़ाएं.
5. व्रत में इन्हीं चावलों को खाएं.

शीतला सप्तमी का महत्व
मान्यता है कि शीतला माता ये व्रत रखने से बच्चों की सेहत अच्छी बनी रहती है. उन्हें किसी भी प्रकार का बुखार, आंखों के रोग और ठंड से होने वाली बीमारियां नहीं होती. इसके अलावा यह भी माना जाता है शीतला सप्तमी के बाद बासी भोजन नहीं किया जाता है. यह बासी भोजन का खाने का आखिरी दिन होता है. इसके बाद मौसम गर्म होता है इसीलिए ताज़ा खाना खाया जाता है.

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