Janmashtami ki Kahani in Hindi – Janmashtami Kyu Mnai Jati hai: बहुत समय पहले मथुरा में कंस नाम का एक राजा था। जो अपने लालच और अन्याय के लिए बदनाम था अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव से करने के बाद आसमान में से एक भविष्यवाणी होती है। कंस देवकी और वासुदेव का आठवाँ पुत्र तुम्हारे अत्याचार का अंत करेगा। यह सुनकर ग़ुस्से में कंस ने नए विवाह्हिक जोड़े को क़ैद कर लिया।एक के बाद एक कंस ने देवकी के सात बच्चों को मार दिया। जब देवकी के आँठवे बच्चे का जन्म हुआ तब भविष्यवाणी की आवाज़ फिर से आइ।
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Janmashtami ki Kahani in Hindi
उस आवाज़ ने कहा इस बच्चे को यमुना नदी के पार गोकुल ले जाओ और वहाँ पर अपने मित्र नंद और यशोदा के जानि सन्तान से बदल दो।इसके बाद वासुदेव ने देखा की उनके हाथों की बेड़ियाँ खुल गई। उन्होंने जल्दी से अपने बच्चे को उठाया और एक टोकरी में डालकर चल पड़े। कारागर के दरवाज़े ख़ुद ब ख़ुद खुल गये और सारे पहरेदार गहरी नींद में थे। जब वासुदेव ने सिर पर टोकरी लिए तूफ़ानी नदी को पार किया तो पानी उनके कंधे से ऊपर नहीं उठा। जब उन्हें परेशानी हुई तो एक दस सिर वाले साँप ने छतरी बनाई और बच्चे को बारिश से बचाया। वासुदेव को यह सब देखकर समझ आया की उनका बच्चा कोई मामूली इंसान नहीं था। नंद के घर पर अपने बेटे को रखकर वासुदेव यशोधा की बेटी को लेकर कारागर लौट आए।
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जब कंस वहाँ पहुँचा। जब बच्चे को नुक़सान पहुँचाने की कोशिश की तो बच्ची ने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया और कहा हे दुष्ट तू जिसे मारना चाहता है। वह देवकी का आठवाँ पुत्र जन्म ले चुका है। और वह अपनी भविष्यवाणी पूरी करेगा। बालक कृष्णा यशोधा द्वारा प्यार से पाले गये और आगे चलकर उन्होंने कंस को मारा और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनाया और इसलिए हर साल हम भारतवर्ष में कृष्ण यानी जन्माष्टमी मनाते है।
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