वर्ल्ड बैंक (विश्व बैंक) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर सुधार प्रणाली (टैक्स रिफॉर्म सिस्टम) पर काफी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वैश्विक संस्था ने भारत में लागू जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को सबसे अधिक जटिल कर प्रणाली करार दिया है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 115 देशों में से भारत में टैक्स रेट दूसरा सबसे ऊंचा है। ‘लाइव मिंट’ के अनुसार, इस रिपोर्ट में शामिल अन्य देशों में भारत की तरह ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू है।
बता दें की मोदी सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को GST के ढांचे में पांच स्लैब (0, 5, 12, 18 और 28 फीसद) बना कर लागू किया गया। सभी वस्तुओं और सेवाओं को इसी दायरे में इस स्लैब में रखा गया है। भारत सरकार ने कई वस्तुओं और सेवाओं को GST के स्लैब से बाहर भी रखा है और कुछ पर काफी कम दर से टैक्स लगाए है। जैसे सोने पर 3 तो वही कीमती पत्थरों पर 0.25 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया गया है। वहीं, अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पाद, रियल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली बिल को GST के दायरे से बाहर रखा गया है। विश्व बैंक ने बुधवार (14 मार्च) को ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ की छमाही रिपोर्ट जारी की, जिसमें ये बात बताई गई।
दुनिया के 49 देशों में GST के तहत एक और 28 देशों में दो स्लैब रखे गए हैं। वही भारत समेत पांच अन्य देशों में इसके अंतर्गत पांच स्लैब बनाए गए हैं। भारत के अलावा इनमें इटली, लक्जेम्बर्ग, पाकिस्तान और घाना जैसे देश सम्मिलित हैं। बता दें कि इस समय चारों ही देशों की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है। ऐसे में भारत GST के तहत सबसे अधिक स्लैब वाला देश भी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 12 और 18 प्रतिशत वाले स्लैब को एक करने की बात कही है। लेकिन, टैक्स अदा करने में सुधार और राजस्व में वृद्धि के बाद ही यह फैसला लिया जाएगा। पिछले साल नवंबर में GST काउंसिल की गुवाहाटी हुई बैठक में 28 प्रतिशत वाले स्लैब को लेकर काफी महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। पहले इसके दायरे में 228 वस्तुओं एवं सेवाओं को रखा गया था, जिसमे बड़ा बदलाव करते हुए इस स्लैब में केवल 50 वस्तुओं को ही रखने का फैसला लिया गया था।
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विश्व बैंक ने टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जाहिर है। इसका असर पूंजी की उपलब्धता पर पड़ने की सम्भावना जताई गई है। रिपोर्ट में कर प्रणाली के प्रावधानों को लागू करने में होने वाले खर्च को लेकर भी सवाल किए गए हैं। विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की आशंका जताई है। रिपोर्ट में टैक्स रेट की संख्या कम करने, कानूनी प्रावधान और प्रक्रियाओं को सरल बनाने का सुझाव दिया है।