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Side Effects Of Sorry In Relationship – जानिए क्यों सही नहीं है रिलेशनशिप में बार-बार ‘सॉरी’ कहना?

गलतियों पर सॉरी बोलना सभ्य और शिष्ट होने का प्रतिक है। लेकिन इसे अपनी आदत बना लेना आपके लिए और लोगों से आपके रिश्तों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। अक्सर ऐसा होता है कि जिसे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं और जिसे जीवन में खोना नहीं चाहते ऐसे लोग जब आप से नाराज हो जाते है तो अपनी गलती न होने पर भी हम काफी बार सॉरी बोल देते हैं। यह काफी बार सही नहीं है। इससे आपका आत्मविश्वास डगमगाता है और आपमें हीन भावना भी आने लगती है। इसके अलावा भी बार-बार सॉरी बोलने के कई मनौवैज्ञानिक हानि भी होती हैं। तो चलिए अब जानते हैं कि क्या हैं वे नुकसान –

जानिए क्यों सही नहीं है रिलेशनशिप में बार-बार ‘सॉरी’ कहना?Side Effects Of Sorry In Relationship In Hindi

मनोबल होता है कमजोर – अपने आपको बार-बार दोषी समझने की आदत किसी भी व्यक्ति के मनोबल को कमज़ोर कर देती है। इससे हीन भावना का उद्भव होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि बचपन में जिन लोगों के साथ बहुत ज्य़ादा सख्ती गई हो या जिनके पैरेंट्स ओवर प्रोटेक्टिव होते हैं बड़े होने के बाद ऐसे लोगों का आत्मविश्वास अक्सर कमज़ोर पड़ जाता है। किसी भी मामले पर फैसला लेने से पहले ऐसे लोग अपनी प्राथमिकताओं के बजाय दूसरों की प्रतिक्रिया के बारे में अधिक सोचते हैं। यही कारण है की ये जीवन में कोई भी जोखिम उठाने को पूरे तरीके से तैयार नहीं होते और हमेशा सुरक्षित रास्ते पर चलने की सोचते हैं।

रिश्तों के लिए नुकसानदेह होता है – जो लोग अति संवेदनशील होते हैं वे छोटी-छोटी बातों पर घंटों सोचते रहते हैं। किसी पुरानी बात को याद दिलाकर सामने वाले से माफी मांगने लगते हैं। इससे जो व्यक्ति अच्छे मूड में होता है, उसे भी बहुत परेशानी होती है, फिर ना चाहके भी संबंध खराब हो ही जाते हैं। दांपत्य जीवन और प्रेम संबंधों में भी ये आदतें नुकसानदेह होती हैं।

अपनी खुशी का महत्व समझें – अपने आसपास के लोगों को खुश रखने और उनसे प्रशंसा पाने की चाह में ऐसे लोग हमेशा दूसरों के बारे में अधिक सोचते रहते है। समय बीतने के बाद इनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आता है जब इन्हें इस बात का एहसास होता है कि ‘मैं ही सबके लिए इतना कुछ करता/करती हूं लेकिन किसी को मेरी ज़रा भी परवाह नहीं।

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इस तरह की नकारात्मक बातें व्यक्ति को डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी डिसॉर्डर जैसी गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं की ओर धकेल देती है। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने लिए भी थोड़ा समय ज़रूर निकालें और अपनी खुशियों के लिए जीना शुरू करें।

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