श्रीनगर के एसएसपी डॉ. शैलेंद्र मिश्रा का बयान आज कल सोशल मीडिया पर सुना और शेयर किया जा रहा है| श्रीनगर के एसएसपी साहब ने जम्मू-कश्मीर में चल रहे ऑपरेशन आल आउट के माध्यम से मारे गए आतंकियों पर जश्न न मानने की बात कही है| आपको बता दें की ऑपरेशन आल आउट के तहत जम्मू-कश्मीर में सेना, राज्य की पुलिस और अन्य फाॅर्स के जॉइंट ऑपरेशन में अब तक 200 से ज्यादा आतंकियों को मारा जा चूका है|
2009 बैच के के आईपीएस डॉ. शैलेंद्र मिश्रा ने इन आतंकियों के मारे जाने पर हमारी सामूहिक विफलता को गलत करार दिया है| ये बात मिश्रा जी ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कही जो की ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित किया गया था| इस कार्यक्रम में उन्होंने 15 मिनट का एक छोटा सा भाषण दिया जिसमे उन्होंने आतंकियों के मारे जाने पर जश्न मनाने को गलत करार देते हुए शोक जताने को सही ठराया है| ये हमारी सामूहिक विफलता का ही परिणाम है की आज आतंकवाद बढ़ता जा रहा है| उन्होंने परिस्थितियां को जिम्मेदार ठहराते हुए पूछा की वे क्या परिस्थितियां रही होंगी| जिसके कारण बुरहान वानी आतंकवाद की ओर अग्रसर हुआ|
आगे उन्होंने वीडियो में कहा की में एक नौकरशाह हूँ और भाषण देना मेरा काम नहीं है| लेकिन ये मेरी निजी राय है की भारत में कही भी आतंकवाद नहीं है, बल्कि कुछ नौजवान है जिन्हे हमारी कार्यप्रणाली से शिकायत है। ये नौजवान हमारे देश के ही है|
एसएसपी जी ने कहा की हमे इन लोगो को मारने में कोई ख़ुशी नहीं मिलती| आज हम ये कोशिशे कर रहे है की इन्हे जिन्दा पकड़ कर उन्हें सही रास्ते पर लाया जाए| पाकिस्तान इन बच्चो को गलत रास्ते पर ले जा रहा है| हमे इस बात पर विचार विमर्श कर चाहिए की ऐसे क्या हालत रहे होंगे की बुरहान वानी और वसीम मुल्ला आतंकवादी बनने को मजबूर हुए? सरकार या सिस्टम से शिकायत का ये कतई मतलब नहीं है की आप हथियार उठा ले|
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उन्होंने आतंकवाद की परिभाषा बताते हुए कहा की आतंकवाद वो होता है जिससे समाज में डर का माहौल पैदा हो| उन्होंने मिस्र का उदहारण देते हुए बताया की एक आत्मघाती हमलावर ने खुद को उड़ाकर 300 से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया|
जो लोग सिस्टम से परेशान है या उन्हें किसी वजह से शिकायत है, तो इसका ये मतलब नहीं है की आप आतंकवाद के रास्ते पर चले| पुलिस फाॅर्स की ये जिम्मेदार नहीं है की वो आपको सही दिशा दिखाए, बल्कि पुलिस फाॅर्स एक आखिरी इंस्ट्रूमेंट है| लेकिन आज हम इस इंस्ट्रूमेंट को पहले इस्तेमाल कर रहे है, जबकि हमारे पास इससे पहले भी कई विकल्प है, जिन पर हम विचार विमर्श नहीं कर रहे|