निर्भया केस Live Updates: पटियाला हाउस कोर्ट में डेथ वारंट पर सुनवाई टली, अगली सुनवाई 7 जनवरी , 2020 को होगी, Nirbhaya Case News दिल्ली निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने सभी चारों दोषियों में से एक अक्षय की पुनर्विचार याचिका को आज बुधवार को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा की बचाव पक्ष की तरफ से जो तर्क दिए जा रहे है, उन सभी पर पहले ही बहस हो चुकी है। अब इन सभी बातों का कोई आधार नहीं है। यह बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के द्वारा याचिका खारिज होने के साथ ही निभाया के दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी होने का रास्ता साफ होता दिख रहा है।
निभाया केस Live Updates:
Asha Devi, mother of 2012 Delhi gang-rape victim: The court has given them (convicts) to time to seek remedy. Court is only looking at their (convicts) rights and not ours. There is no guarantee that a judgement will be given on next date of hearing. pic.twitter.com/Yk6ZmQRLJH
— ANI (@ANI) December 18, 2019
वकील ए.पी सिंह ने बताया कि वो क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे और इसके साथ ऐसे 17 केस के उदाहरण देंगे जिनमें फांसी को उम्रकैद में बदला गया है. सिंह ने बताया कि क्यूरेटिव पिटीशन के बाद ही उनकी तरफ से दया याचिका लगाई जाएगी.
दोषी के वकील ए.पी सिंह की तरफ से दया याचिका के लिए 3 हफ्ते का समय मांगा है. जबकि सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसके लिए केवल एक हफ्ते का वक्त दिया जाता है।
2012 Delhi gang-rape convict, Akshay Kumar Singh’s counsel tells the Supreme Court that convict wants to file mercy petition before the President of India & seeks three weeks time to file it. https://t.co/XI5HmYM8fU
— ANI (@ANI) December 18, 2019
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा की इस केस के दोषी किसी भी प्रकार से सहानुभूति के हकदार नहीं है। उन्हें मौत की सजा दी जानी चाहिए।
निर्भया केस: कभी भी दी जा सकती है दोषियों को फांसी, तिहाड़ जेल में हलचल तेज
निभाया केस के दषी अक्षय सिंह की तरफ से उसके वकील ने कहा की मुझे इसलिए फांसी दी जा रही है, क्योंकि मैं गरीब हूँ। इस केस में सब कुछ राजनीतिक एजेंडे की तरह हो रहा है। वकील सिंह ने याचिका पढ़ते हुए वेद, पुराण, त्रेता युग का जिक्र किया और कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते हैं जबकि दूसरे युग में कहीं ज्यादा.