जानिये भगवान शिव को क्यों और कैसे मिली थी तीसरी आंख? क्या है इसका रहस्य : हिन्दू पौराणिक कथाओं और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की तीसरी आँख भी है और जब भगवान शिव अपनी तीसरी आंख खोलते है तो प्रलय आ जाती है। इस बार में तो आपने में कई पौराणिक कथाओं और कहानियो में सुना होगा। लेकिन की क्या आप भगवान शिव की तीसरी आँख से जुड़े राज या रहस्य या उसके वैज्ञानिक कारण के बारे में जानते है? नहीं ना, आज हम आपको बताएँगे की भगवान शिव को तीसरी आंख कैसे मिली? इसके रहस्य के बारे में
शिव के 15 प्रभावशाली मंत्र
जब भगवान शिव तीसरी आँख खोलते है तो उससे काफी ज्यादा ऊर्जा निकलती है और उन्हें ब्रह्माण्ड में हो रही सभी चीजों के बारे में पता चल जाता है। अपनी तीसरी आँख खोलकर भगवान शिव ब्राह्मण को देख रहे होते है। ऐसी स्थिति में वे कॉस्मिक फ्रिक्वेंसी या ब्रह्मांडीय आवृत्ति से जुड़े होते हैं। इस दौरान वह दुनिया के किसी भी कौन में देख सकते है और संपर्क साध सकते है। शिव का तीसरा चक्षु आज्ञाचक्र पर स्थित है। आज्ञाचक्र ही विवेकबुद्धि का स्रोत है। तृतीय नेत्र खुल जाने पर सामान्य बीज रूपी मनुष्य की सम्भावनाएं वट वृक्ष का आकार ले लेती हैं। आप इस आंख से ब्रह्मांड में अलग-अलग आयामों में देख सकते है।
23 जुलाई 2019: शुक्र बदलेंगे अपना घर
शिव को कैसे मिली थी तीसरी आंख?
भगवान शिव की तीसरी आँख नारद जी बताते है की एक समय की बात है जब भगवान शिव हिमालय में एक सभा कर रहे होते है तभी उस सभा में माँ पार्वती आ जाती हो और मनोरंजन भगवान शिव की दोनों आँख को अपने हाथो से ढक लेती है।
क्यों होता है ब्रेकअप?
माता पार्वती के यह करने पर पूरे संसार में अँधेरा हो जाता है। कुस समय के लिए सूर्य का अस्तित्व ही मिट जाता है। ऐसा होने पर धरती पर मौजूद जीव-जंतुओं में हलचल मच जाती है।
किसी को पसंद करते हैं, तो कही अपनी बात
क्या है इसका रहस्य
संसार के लोगों को परेशान देख भगवान शिव ने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया, जो भगवान शिव की तीसरी आंख बनी। बाद में माता पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने उनसे बताया कि अगर वो ऐसा नहीं करते तो संसार का नाश हो जाता, क्योंकि उनकी आंखें ही जगत की पालनहार हैं।