Delhi Nirbhaya Case: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 2012 में हुआ निर्भया केस के दोषी के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने से इंकार कर दिया। पटियाला हाउस कोर्ट का कहना है कि अगर कानून दोषियों को जीने की इजाजत देता है तो उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप होगा। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दिल्ली सरकार की ओर से एक में याचिका दायर कर क्यों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने की अपील की थी। यह अपील इसलिए की गई थी निर्भया के दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा मिल सके। लेकिन इस अपील का कुछ फायदा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने अपनी दलील में कहा कि अब किसी भी दोषी की कोई भी याचिका किसी भी कोर्ट में लंबित नहीं है, लिहाजा कोर्ट नया डेथ वारंट जारी करने के लिए स्वतंत्र है।
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सरकारी वकील की इस दलील पर कोर्ट ने पूछा कि क्या एक दोषी की दया याचिका और क्यूरेटिव लगनी अभी बाकी है या फिर नहीं? इस पर कैसे विश्वास किया जाए कि दोषी नई याचिका नहीं लगाएंगे? कोट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया एक चार्ज देकर बताया कि फिलहाल स्थिति क्या है? मेहता ने कहा कि अदालत को कानून का सवाल तय करना है। हाईकोर्ट से हमें आंशिक राहत मिली है। तीन दोषियों के सारे उपचार पूरे हो चुके हैं। पवन गुप्ता ने क्यूरेटिव और दया याचिका अभी नहीं लगाई है। अक्षय, विनय और पवन ने निचली अदालत में अर्जी दाखिल की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी हो सकती है अलग-अलग नहीं।
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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तारीख तय की है। बता दें कि केंद्र सरकार के साथ-साथ दिल्ली सरकार ने भी निचली अदालत से दोषियों का डेथ वारंट रद होने के आदेश को चुनौती देते हुए मांग की है कि जिन दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं, उन्हें फांसी दी जा सकती है। निर्भया केस से जुड़ी खबर जानने के लिए हमारे साथ बने रहे।
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