अब ‘शिमला’ का नाम बदलकर “श्यामला” करने की चर्चा शुरू: देश में शहर और गांव के नाम बदलने का सिलसिला कोई नहीं बात नहीं है| कुछ समय पहले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बलदकर प्रयागराज करने के फैसला किया था और अब हिमाचल प्रदेश की सरकार प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम बलदकर श्यामला करने पर विचार विमर्श कर रही है| बीजेपी नेता और प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर विपिन सिंह परमार ने कहा की देश के अलग क्षेत्रों के पौराणिक आधार पर नाम थे जिन्हे एक बार फिर से रखे जाने में कोई बुराई नहीं है| उन्होंने बताया की शिमला का नाम बलदकर श्यामला करने पर अगर लोगों की राय बनती है तो फिर इसमें कोई बुराई नहीं है|
सोशल मीडिया पर शिमला का नाम बदलने को लेकर पिछले कुछ समय से लोग अपनी राय दे रहे है| कुछ इसके पक्ष में दिख रहे है तो कुछ इसके विरोध में अपनी राय दे रहे है| वही इस बीच हिमाचल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह भज्जी ने शिमला का नाम बदलने के नाम को सही नहीं ठहराया है| उन्होंने इसका विरोध किया है| उन्होंने कहा की शिमला एक ऐतिहासिक शहर है और इसका नाम बदलने से शहर की ऐतिहासिक चीजें ख़त्म होने का भी डर है|
उन्होंने पूछा की आखिर शिमला नाम में बुराई क्या है? क्या शहर का नाम बदलने से शहर का विकास होगा? प्रदेश की सरकार शहर का नाम बदलने की बजाय प्रदेश के विकास कार्यों पर ध्यान दें| विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी अमन पुरी के अनुसार, श्यामला को शिमला किया गया, क्योंकि अंग्रेज श्यामला नहीं बोल पाते थे. उन्होंने इसका नाम ‘सिमला’ कर दिया, जो बाद में शिमला हो गया| अंग्रेजों ने 1864 में इस शहर को बसाया था. अंग्रेजों के शासनकाल में शिमला ब्रिटिश साम्राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी|
सन् 1947 में आजादी मिलने तक शिमला का यही दर्जा रहा| शिमला को बसाए जाने में सी. प्रैट कैनेडी की मुख्य भूमिका थी| कैनेडी को अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों का पॉलिटिकल ऑफिसर नियुक्त किया था| सन 1822 में उन्होंने यहां पहला घर बनाया जिसे ‘कैनेडी हाउस’ के नाम से जाना गया|