नमस्ते फ्रेंड्स आपका स्वागत है हमारी हिंदी वेबसाइट देख न्यूज़ पर और आज हम आपके लिए सोशल डिस्टेंस पर एक जबरदस्त शायरी लेकर आये हैं जोकि आपको काफी ज्यादा पसंद आने वाली है। आपको बता दें कि आज कल कोरोना काल की वजह से वैसे भी सोशल डिस्टेंस रखना काफी ज्यादा जरूरी हो गया है। आज आपको यहाँ पर सोशल डिस्टेंस पर काफी सारी शायरी देखने को मिल सकती है जैसे कि लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप शायरी इन हिंदी और Social distancing शायरी से जुड़ी काफी सारी शायरी देखने को मिल सकती है म आप इन सभी शायरी को ऑनलाइन शेयर कर सकते हैं।
Social Distancing Shayari in Hindi
Social distancing शायरी के साथ साथ आज आपको फसलों पर शायरी और फासले शायरी इन हिंदी का एक बड़ा कलेक्शन देखने को मिल सकता है। आप इन सभी शायरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से कही भी शेयर कर सकते है। यह आपके ऊपर है कि आप कहाँ शेयर करना चाहते हैं, और कैसे शेयर करना चाहते हैं। आपको बता दें कि 2020 साल से पहले हर कोई एक साथ बैठता था और एक ही थाली में खाना खाता था लेकिन कोरोना काल ने हमारी जिंदगी को बदल दिया है। आज हर कोई दूरी बनाते हुए नजर आता है।
दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो
क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए
– अज्ञात
शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है
सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा
– शहरयार
हाल पूछा न करे हाथ मिलाया न करे
मैं इसी धूप में ख़ुश हूँ कोई साया न करे
– काशिफ़ हुसैन ग़ाएर
घूम-फिर कर न क़त्ल-ए-आम करे
जो जहाँ है वहीं क़याम करे
– शब्बीर नाज़िश
सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी | Social Distancing Status
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो – बशीर बद्र
अब नहीं कोई बात ख़तरे की अब सभी को सभी से ख़तरा है – जौन एलिया
क़ुर्बतें लाख ख़ूब-सूरत हों दूरियों में भी दिलकशी है अभी – अहमद फ़राज़
थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करते, कुछ और थक गया हूँ आराम करते करते – ज़फ़र इक़बाल
ये जो मिलाते फिरते हो तुम हर किसी से हाथ, ऐसा न हो कि धोना पड़े ज़िंदगी से हाथ – जावेद सबा
रास्ते हैं खुले हुए सारे, फिर भी ये ज़िंदगी रुकी हुई है – ज़फ़र इक़बाल
दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो, क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए – ईमान क़ैसरानी
शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है, सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा – शहरयार
घर में ख़ुद को क़ैद तो मैं ने आज किया है, तब भी तन्हा था जब महफ़िल महफ़िल था मैं – शारिक़ कैफ़ी
सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी और स्टेटस
आप ही आप दिए बुझते चले जाते हैं, और आसेब दिखाई भी नहीं देता है – रज़ी अख़्तर शौक़
शहर-ए-जाँ में वबाओं का इक दौर था, मैं अदा-ए-तनफ़्फ़ुस में कमज़ोर था – पल्लव मिश्रा
कैसा चमन कि हम से असीरों को मनअ’ है, चाक-ए-क़फ़स से बाग़ की दीवार देखना – मीर तक़ी मीर
अकेला हो रह-ए-दुनिया में गिर चाहे बहुत जीना, हुई है फ़ैज़-ए-तन्हाई से उम्र-ए-ख़िज़्र तूलानी – मोहम्मद रफ़ी सौदा
हर एक जिस्म में मौजूद हश्त-पा की तरह, वबा का ख़ौफ़ है ख़ुद भी किसी वबा की तरह – सऊद उस्मानी
हम आपको बताना चाहते हैं कि आजकल सोशल डिस्टेंस रखना जरूरी हो गया है। ऐसा करने से आप अपने साथ साथ अपने परिवार की जान भी बचा सकते हैं। आपको बता दें कि कोरोना एक खतरनाक बीमारी है जिससे इंसान बच तो जाता है लेकिन 14 दिन के लिए उसे काफी तकलीफ उठानी पड़ती है। आज आपको यहाँ पर सोशल डिस्टेंस से जुड़ा और संग्रह भी देखने को मिल सकता है जैसे कि सोशल शायरी, दूरियां पर शायरी और दूरी का एहसास शायरी पर एक अच्छा संग्रह देखने को मिल सकता है। जाते समय हम आपसे कहना चाहते हैं कि अगर जानकारी पसंद आई है तो ज्यादा से ज्यादा लाइक, शेयर और कमेंट करे। जय हिंद। जय श्री राम।