Who is JP Nadda: जेपी नड्डा कौन हैं? पढ़िए! उनके बारे में रोचक बातें भारतीय जनता पार्टी यानि बीजेपी को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के रूप में मिल गया है। अमित शाह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारणी अध्यक्ष जिम्मा मिला जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। जिसका इनाम अब उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के रूप में मिल रहा है। बता दें की उन्हें अच्छा रणनीतिकार भी माना जाता है। जेपी नड्डा अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी भी रहे है। जेपी नड्डा कौन है? उनके बारे में हम कई रोचक जानकारी लेकर आए है।
Who is JP Nadda
जेपी नड्डा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एक छात्र नेता के तौर पर की थी। वह यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के सेक्रेटरी भी रहे। जेपी नड्डा और राज्य और केंद्रीय संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव है।
जेपी नड्डा का पूरा नाम जगत प्रकाश नड्डा है। इनका जन्म 2 दिसंबर 1960 को पटना में हुआ था। जेपी नड्डा ने साल 1975 में संपूर्ण क्रांति आंदोलन में हिस्सा लिया था। इसके बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जॉइन कर की थी। जिस समय जेपी नड्डा पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की थी तब उनके पिता एनएल नड्डा विश्वविद्यालय के कुलपति थे.
साल 1977 में जेपी नड्डा ने एबीवीपी की तरफ से चुनाव लड़ा और पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के सचिव बने। सचिव बनने के बाद वह एबीवीपी में काफी एक्टिव हो गए। जेपी नड्डा ने पटना यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और फिर उसके बाद हिमाचल यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। जेपी नड्डा की पत्नी डॉ. मलिका नड्डा, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाती हैं. मलिका खुद भी एबीवीपी का हिस्सा रह चुकी हैं और 1988 से 1999 के बीच वह इसकी राष्ट्रीय सचिव भी थीं.
वर्ष 1989 में आयोजित लोकसभा चुनावों के दौरान, जेपी नड्डा को बीजेपी की युवा शाखा के चुनाव प्रभारी के रूप में एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उस समय उनकी उम्र 29 साल थी।
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साल 1991 में 31 साल के जेपी नड्डा भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से चुनाव लड़ा और तीन बार एमएलए रहे। वह हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री भी रहे। वह वन, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालयों को भी संभाला चुके हैं. अपनी प्रसिद्ध उपलब्धियों के तहत, उन्हें एक ऐसे मंत्री के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने वन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राज्य में प्रभावी रूप से वन पुलिस स्टेशन स्थापित किए. उन्हें शिमला में हरित आवरण को बढ़ाने का भी श्रेय दिया गया है और इस उद्देश्य के लिए वह राज्य में कई वृक्षारोपण अभियान शुरू करने में लगे हुए हैं.