नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले है WHO की एक ऐसी डराने वाली रिपोर्ट के बारे में, जिसके बारे में आप जान कर हैरान होने वाले है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक वर्तमान समय में विश्व भर में हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में मानसिक विकार से ग्रसित हैं, जिसे आप डिप्रेशन के नाम से जानते हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में कुल 1 अरब लोग ऐसे मौजूद है, जो डिप्रेशन से जूझ रहे है। इसमें सात पीड़ितों में से एक किशोर शामिल है, हैरान करने वाली बात तो यह की इन आकड़ो में वृद्धि कोरोना महामारी से ज्यादा देखने को मिली है, जो की बेहद चिंता का विषय है।
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WHO Report on Suicide 2022 in Hindi | हर वर्ष HIV, मलेरिया या कैंसर, युद्ध और हत्या से अधिक लोग आत्महत्या के परिणामस्वरूप मरते हैं
आपकी जानकारी के लिए बता दे की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 6-7 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक विकारों का सामना कर रही है। कोरोनावायरस के बाद से मानसिक रूप से अस्वस्थ्य लोगो की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है, इसका एक मुख्य कारण यह भी है की भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोग कम जागरूक है। साल 2018 में जारी लांसेट मेन्टल हेल्थ की रिपोर्ट ने दावा किया था की भारत की 80% आबादी ऐसी हैं जिन्हें इस समस्या का कभी इलाज नहीं मिलता।
डिप्रेशन और आत्महत्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है की विश्व भर में स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, लेकिन कोरोनावायरस के बाद स्थिति बद से बदतर हो चुकी है, विश्व भर में अवसाद और चिंता जैसी सामान्य स्थितियों की दर में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। ज्यादातर देश स्वास्थ्य पर केवल 2 परसेंट बजट खर्च करते है, सभी देशों की सरकारों को अपने अपने देश में स्वास्थ्य बजट को बढ़ाना चाहिए, और लोगो को जागरूक करना चाहिए, यह एक सस्ता और किफायती इलाज माना जाता है।
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हर वर्ष 7 लाख से अधिक करते है आत्महत्या
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हाल ही में एक रिपोर्ट साझा की थी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि विश्व भर में लोग हर वर्ष एचआईवी, मलेरिया या स्तन कैंसर या युद्ध और हत्या से अधिक लोग आत्महत्या के परिणामस्वरूप मरते हैं। केवल साल 2019 के आंकड़ों की बात करें तो भारत में 7 लाख से अधिक लोगों ने आत्महत्या की थी, यानी प्रत्येक 100 मौतों में से एक मौंतों का कारण आत्महत्या है, और इन 2 सालों में इन आंकड़ों में 25% की वृद्धि देखने को मिली है, तो अब खुद अनुमान लगा सकते हैं कि लोग अब पहले के मुकाबले कितना अधिक डिप्रेशन में जा रहे हैं और कितने लोग आत्महत्या कर रहे हैं। भारत के लिए यह आंकड़े बेहद चिंताजनक है, अब यह देखना हो कि भारत सरकार डिप्रेशन और आत्महत्या को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है? इस खबर के बारे में आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएं। इसी प्रकार की रिपोर्ट जाने के लिए हमारे साथ बने रहे।