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जानिए! गर्भ में बच्चे कैसे बन जाते है किन्नर? इन बातों का ध्यान रखने से नहीं जन्म लेगा किन्नर बच्चा

जानिए! गर्भ में बच्चे कैसे बन जाते है किन्नर? इन बातों का ध्यान रखने से नहीं जन्म लेगा किन्नर बच्चा hijra ki pehchan ट्रांसजेंडर समाज का एक व्यक्ति जिसे समाज ना पुरुष मानता है और न इस्त्री| ऐसा इसलिए होता है क्योकि इन लोगो में महिला और पुरुष दोनों के ही सामान लक्षण पाए जाते है| ऐसा देखा गया है की कुछ में महिलाओं के गुण ज्यादा होते है तथा कुछ में पुरुष के और ये अपने इन्ही गुणों के अनुसार व्यवहार करते है| हमारे समाज का दुर्भाग्ये है की आज तक हमने इन्हे कोई समान अधिकार नहीं दिए है| सबसे बड़ा सवाल तो ये है की किन कारणों से ट्रांसजेंडर बच्चो का जन्म होता? आज हम आपको इस पोस्ट में ट्रांसजेंडर बच्चे होने और उनके उपाए के बारे में बताएँगे|

जाने गर्भ में कैसे बन जाते है बच्चे किन्नर? इन बातो को ध्यान में रख कर सकते है उपाये!

गर्भ में बच्चे कैसे बन जाते है किन्नर?

  • डॉक्टरों के अनुसार गर्भावस्था के पहले तीन महीने में शिशु का लिंग बनना शुरू हो जाता है| बच्चे के ट्रांसजेंडर जन्म लेने के पीछे लिंग धारण करने के इस प्रोसेस के दौरान चोट लगने, टॉक्सिक खान-पान और हॉर्मोनल प्रॉब्लम जैसे कई कारण हो सकते हैं।
  • गर्भावस्था महिला शुरुआती तीन महीने में बुखार होने पर अधिक पावर कि दवा खा लेने से भी बच्चे के ट्रांसजेंडर होने की सम्भावना ज्यादा होती है|
  • गर्भावस्था के दौरान अधिक मात्रा में टॉक्सिक फूड यानी केमिकली ट्रीटेड या पेस्टिसाइड्स वाले फल या सब्जियों के सेवन से बचे|
  • गर्भवती महिला के साथ यदि कोई दुर्घटना हो जाए और इसी बीच शिशु के ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचने पर भी बच्चे के ट्रांसजेंडर पैदा होने की सम्भावना बाद बढ़ जाती है|
  • जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण ट्रांसजेंडर के लगभग 10 से 15 फीसदी मामले सामने आते है| कुछ केस में ट्रांसजेंडर बच्चे के जन्म कारणों का पता नहीं चल पाता है|
  • हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही दवा को ले| गर्भावस्था के दौरान इस बात का जरूर दयँ रखे|

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जाने पाद के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • गर्भावस्था के दौरान नशीली दवाओं जैसे शराब, सिगरेट के सेवन से बचे| अगर आप नींद की दवा भी लेते है तो डाक्टर से सलाह से ले|
  • गर्भावस्था के समय टॉक्सिक फूड या पेय पदार्थों के सेवन से बचे| हेल्दी डायट का ही सेवन करे|
  • थायरॉइड, डायबिटीज या मिर्गी जैसी बीमारियों में डॉक्टर की सलाह अवश्य ले|
  • गर्भावस्था के शुरू के तीन महीने में किसी भी बीमारी को नज़र अंदाज़ ना करे|

 

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