Akshay Amla Navami 2019: आंवला नवमी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, कथा Kab Hai हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है जिसे आंवला नवमी के रूप में भी जाता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक हर साल आंवला नवमी की तिथि हर साल अलग-अलग होती है। आप सभी यह जानने के लिए बेताब होंगे की इस साल आंवला नवमी कब है? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथाम महत्व आदि के बारे में जिसकी जानकारी आपको इस आर्टिकल में मिल जाएगी। ऐसी मान्यता है की भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। आंवला नवमी के दिन स्नान करने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान प्रसन्न होते है।
आंवला नवमी कब है?
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी कहा जाता है। इस साल आंवला नवमी का पर्व 5 नवंबर को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है की इस दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ करने और वस्तुएं दान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त
सुबह 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक।
अक्षय नवमी व्रत विधान और मंत्र
मंगलवार की सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत्, पुष्प आदि लेकर नीचे लिखे मंत्र से व्रत का संकल्प लें।
‘अद्येत्यादि अमुकगोत्रोsमुक शर्माहं (वर्मा, गुप्तो, वा) ममाखिलपापक्षयपूर्वकधर्मार्थकाममोक्षसिद्धिद्वारा श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं धात्रीमूले विष्णुपूजनं धात्रीपूजनं च करिष्ये’
अक्षय नवमी या आंवला नवमी का क्या महत्व है?
– अक्षय नवमी का पर्व आंवले से सम्बन्ध रखता है.
– इसी दिन कृष्ण ने कंस का वध भी किया था और धर्म की स्थापना की थी.
– आंवले को अमरता का फल भी कहा जाता है.
– इस दिन आंवले का सेवन करने से और आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
– इस दिन आंवले के वृक्ष के पास विशेष तरह की पूजा उपासना भी की जाती है.
– इस बार अक्षय नवमी 05 नवम्बर को मनाई जायेगी.
आंवला नवमी पर पूजा-पाठ कैसे करें?
– सुबह उठकर स्नान करे और पूजा करने का संकल्प लें.
– भगवान से प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख,समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले.
Amla Navami 2019: जानिए! आंवला नवमी के दिन क्या करें और क्या न करें
– आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व मुख होकर , उसमे जल डालें.
– वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें , और कपूर से आरती करें.
– वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं , स्वयं भी भोजन करें.
आंवला नवमी की कथा
आंवला नवमी के संबंध में कथा प्रचलित है कि प्राचीन समय में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर देवी लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे शिवजी और विष्णुजी की पूजा की थी। तभी से इस तिथि पर आंवले के पूजन की परंपरा शुरू हुई है।