Prasthanam Movie Review in Hindi: फिल्म प्रस्थानम रिव्यु, रेटिंग, कहानी, कास्ट, बजट बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त स्टारर फिल्म प्रस्थानम इस हफ्ते शुक्रवार 20 सितंबर को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो होने वाली है। यह फिल्म संजय दत्त के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी है। जो 2010 में तेलुगू भाषा में इसी नाम से बनी फिल्म का अडैप्टेशन है। फिल्म राजनीति पर बनी है। इससे [ेहले भी बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बन चुकी है जो राजनीति पर आधारति थी। इन सभी फिल्मों को दर्शको ने खूब पसंद किया था अब इस लिस्ट में प्रस्थानम भी शामिल हो चुकी है। तो दोस्तों अब पढ़ते है कैसे है फिल्म प्रस्थानम..
फिल्म प्रस्थानम की कहानी क्या है?
फिल्म की कहानी एमएलए बलदेव प्रताप सिंह (संजय दत्त) और उनके परिवार के चारों ओर घूमती है। फिल्म का सेटअप उत्तर प्रदेश है और यहां बल्लीपुर के बलदेव सिंह को अपने सौतेले बेटे आयुष (अली फजल) का पूरा समर्थन हासिल है। आयुष को ही राजनीतिक वारिस माना जाता है क्योंकि उसका सौतेला भाई विवान (सत्यजीत दुबे) बेहद बिगड़ैल स्वभाव का और हिंसक लड़का है। इन तीनों पुरुषों की जिंदगी बलदेव सिंह की पत्नी सरोज (मनीषा कोइराला) से बंधी हुई है। इस परिवार की उथल-पुथल भरी राजनीतिक कहानी है ‘प्रस्थानम’। Pal Pal Dil Ke Paas Movie Review in Hindi
फिल्म प्रस्थानम रिव्यु इन हिंदी
फिल्म काफी अच्छी है और बात करें फिल्म के पहले हाफ की तो यह केवल किरदारों के इंट्रोडक्शन में ही निकल जाएगा। फिल्म के दूसरे हाफ में आपको कई सारे ट्विस्ट देखने को मिलेंगे जो आपका इंट्रेस्ट बड़ा देंगे। फिल्म के कुछ किरदार बेकार ही जोड़े गए हैं जैसे आयुष के लव इंट्रेस्ट का रोल जो अमायरा दस्तूर ने निभाया है। फिल्म में मनीषा कोइराला का किरदार काफी अहम है लेकिन यह थोड़ा छोटा है। लदेव के ड्राइवर बादशाह के रोल में जैकी श्रॉफ काफी दमदार दिखते है लेकिन उनके रोल को ज्यादा नहीं दिखाया गया है।
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पूरी फिल्म में एक जोरदार लीडर और एक परेशान पिता के तौर पर संजय दत्त छाए रहते हैं लेकिन अली फजल का किरदार ही एक मात्र ऐसा किरदार है जिसे ठीक से लिखा गया है। उनका यंग पॉलिटिकल लीडर और एक जिम्मेदार बड़े भाई का किरदार जबरदस्त छाप छोड़ता है। सत्यजीत दुबे का किरदार कभी-कभी काल्पनिक लगने लगता है। विलन के रोल में चंकी पांडे जबरदस्त काम किया है। फिल्म के डायलॉग ज्यादा दमदार नहीं है। फिल्म में गलत जगहों पर गाने डाले गए हैं जो कहानी के फ्लो को तोड़ देते हैं।