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बटला हाउस एनकाउंटर क्या है ? Batla House Encounter Is Real or Fake ??

बटला हाउस एनकाउंटर क्या है ? Batla House Encounter Is Real or Fake ?? :- एक्टर जॉन अब्राहम की अपकमिंग मूवी ‘बटला हाउस’ के ट्रेलर वीडियो के रिलीज होने के साथ ही अब सभी यह जानने के लिए बड़े उत्सुक है की आखिर बटला हाउस एनकाउंटर क्या है? 19 सितंबर 2008 को दिल्ली में क्या हुआ था? यह फिल्म बाटला हाउस एनकाउंटर की कहानी पर आधारित है। यह एनकाउंटर इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया। आप सभी इसकी सचाई जानने के लिए बड़े उत्सुक होंगे। आज हम आपको बताएँगे बटला हाउस की पूरी कहानी। बाटला हाउस फिल्म टीजर

13 सितंबर 2008 को दिल्ली में एक के बाद एक 5 सिलसिलेवार धमाके हुए। इन धमाकों में 26 लोगों की जान गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी। इन धमाकों के आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस एक अभियान चलाया था। जिसके आगे चलकर बटला हाउस एनकाउंटर नाम दिया गया। बाटला हाउस का नया पोस्टर

बटला हाउस एनकाउंटर क्या है ?

दिल्ली में हुए धमाकों से पहले गुजरात के अहमदाबाद और सूरत शहर में धमाके हुए थे। इन धमाकों के बाद कई राज्यों की पुलिस ने इन आतंकियों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया और आरोपियों की तलाश शुरू की। दिल्ली पुलिस अपने अभियान में दो कड़ी ऐसी मिली जिसके तहत वह बटला हाउस जा पहुंची।

इनमें पहली कड़ी यह थी कि मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच को एक संगठित अपराध से जुड़े व्यक्ति अफजल उस्मानी को गिरफ्तार किया, जिसने गुजरात हमलों में इस्तेमाल की गई चोरी की कारों का पुख्ता सबूत दिया। जांच में उसने पुलिस को पता लगा कि उस्मानी शीर्ष कमांडर बशीर के रूप में एक व्यक्ति को जानता था, जिसेक आगे के दो दांत नहीं थे।

बशीर 26 जुलाई को अहमदाबाद से दिल्ली के जामिया नगर सुरक्षित घर के लिए रवाना हुआ था. दूसरी कड़ी में पुलिस को गुजरात क्राइम ब्रांच पुलिस की मदद से पता लगा कि दरअसल भरूच के निवासी ने गुजरात पुलिस को बताया था, शहर बम के रूप में इस्तेमाल किए कारों को उसके किराएदार ने पार्क किया था. उसी कड़ी में पुलिस को किराएदार के मोबाइन फोन से सुराग मिला था. यह मोबाइल था, जिस पर 7 और 26 जुलाई 2008 को गुजरात में हुए धमाके वाले दिन पब्लिक बूथ से कॉल आए थे. तो वहीं 16 और 22 जुलाई 2008 के बीच दिल्ली जामिया नगर क्षेत्र के सार्वजनिक फोन से इस मोबाइल कॉल पर पांच कॉल मिली थीं.

Batla House Encounter Is Real or Fake

जांचकर्ताओं को जल्द ही अहमदाबाद बम धमाकों और जामिया नगर क्षेत्र के बीच दूसरी कड़ी के सबूते मिले. 19 जुलाई को भरूच में उपयोग किए गए एक सेल फोन को मुंबई से कॉल आया, यह एक पूर्वी उत्तर प्रदेश के नंबर से किया गया. यह नंबर मोहम्मद आतिफ अमीन नामक के शख्स के नाम से रजिस्ट्रेट था. पुलिस के सामने यह मसला था कि बशीर और मोहम्मद आतिफ अमीन एक ही व्यक्ति है।

कई हफ्तों की जाँच के बाद पुलिस की टीम बटला हाउस तक पहुंची। उन्हें जामिया नगर में स्तिथ बटला हाउस में कुछ संदिग्ध व्यक्तियों के होने की खबर मिली थी। इस खबर आधार पर जब पुलिस की टीम बटला हाउस पहुंची तो उनपर आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी और फिर जवाबी कार्यवाही में आतंकियों को मार गिराया गया।

बटला हाउस एनकाउंटर पर विवाद
– कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर विवाद को जन्म दिया, हालांकि उनकी ही पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया।

– समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर शक जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की। मगर तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने एनकाउंटर को वास्तविक बताते हुए मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया।

– एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई सामाजिक और गैरसरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए।

– पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा। एक एनजीओ की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया कि वह एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच करे और 2 महीने के भीतर रिपोर्ट दे। अपनी रिपोर्ट में एनएचआरसी ने पुलिस को क्लीन चिट दी, जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी।

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