अक्षय तृत्य 2019: 7 May पूजा विधि, महत्व,कथा व शुभ महूरत- हिन्दू धर्म के लोगों के लिए अक्षय तृतीया के पर्व इ बड़ा ही विशेष महत्व है| अक्षय तृतीया के दिन सोने के आभूषण की खरीदारी को काफी शुभ माना जाता है| ऐसी मान्यता है की इस दिन सौभाग्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है| इस दिन किसी भी नए काम की शुरू करने को काफी शुभ माना जाता है| इस साल अक्षय तृतीया का त्यौहार 7 मई को मनाया जाएगा| हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अक्षय तृतीया का त्यौहार बैसाख महिले की शुल्क पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है| अक्षय तृतीया को आखा तीज या अखाती तीज के नाम से भी मनाई जाती है| यहाँ पढ़िए अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, कथा, और महत्व के बारे में
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
इस मुहूर्त में सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है.
7 मई – सुबह 06:26 से रात 11:47 तक
अक्षय तृतीया की पूजन विधि
1. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है.
2. कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं.
3. सुबह उठकर स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनते हैं.
4. विष्णु जी को गंगाजल से नहलाकर, उन्हें पीले फूलों की माला चढ़ाई जाती है.
5. इसी के साथ गरीबों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है.
6. खेती करने वाले लोग इस दिन भगवान को इमली चढ़ाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से साल भर अच्छी फसल होती है.
अक्षय तृतीया के दिन कौन-सी चीजें दान करें?
ऐसी मान्यता है की अक्षय तृतीया के दिन वस्तुएं दान करने से पुण्य मिलता है| इस दिन आप सच्चे मन से से घी, शक्कर, अनाज, फल-सब्जी, इमली, कपड़े और सोने-चांदी का दान कर सकते है| इस दिन लोग बिजली से चलने वाले उपकरण का भी दान करते है|
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया का त्यौहार भगवान विष्णु जी को समर्पित है| इस दिन भगवान विष्णु जी के अवतार परशुराम का जन्म पृथ्वी पर हुआ था| यही वजह है की इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है| अक्षय तृतीया को लेकर ऐसी अनीता है की इस दिन ही गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आयी थी| इसी के साथ अक्षय तृतीया का दिन रसोई और भोजन की देवी अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी माना जाता है. अक्षय तृतीया के दिन शादी से लेकर पूजा तक, सभी करना शुभ माने जाते हैं.
अक्षय तृतीया की कथा
हिंदु धार्मिक कथा के अनुसार एक गांव में धर्मदास नाम का व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहता था. उसके एक बार अक्षय तृतीया का व्रत करने का सोचा. स्नान करने के बाद उसने विधिवत भगवान विष्णु जी की पूजा की. इसके बाद उसने ब्राह्मण को पंखा, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेहूं, गुड़, घी, दही, सोना और कपड़े अर्पित किए. इतना सबकुछ दान में देते हुए पत्नी ने उसे टोका. लेकिन धर्मदास विचलित नहीं हुआ और ब्राह्मण को ये सब दान में दे दिया.
यही नहीं उसने हर साल पूरे विधि-विधान से अक्षय तृतीया का व्रत किया और अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राहम्ण को दान भी दिया. बुढ़ापे और दुख बीमारी में भी उसने यही सब किया.
इस जन्म के पुण्य से धर्मदास ने अगले जन्म में राजा कुशावती के रूप में जन्म लिया. उनके राज्य में सभी प्रकार का सुख-वैभव और धन-संपदा थी. अक्षय तृतीया के प्रभाव से राजा को यश की प्राप्ति हुई, लेकिन उन्होंने कभी लालच नहीं किया. राजा पुण्य के कामों में लगे रहे और उन्हें हमेशा अक्षय तृतीया का फल मिलता रहा|
अक्षय तृत्य पर देशभर के बाजारों में लोग बड़ी संख्या में खरीदारी करने के लिए निकलते है| इस दिन बाजारों में बड़ी रौनक रहती है| इस दिन सोने के गहने या आभूषण खरीदना काफी शुभ माना जाता है| इस दिन को हिन्दू धर्म के लोगो शादी विवाह करने को लेकर काफी शुभ माना जाता है|