दलवीर भंडारी का इंटरनेशनल कोर्ट में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस चुना जाना भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है| बता दे की भारत के दलवीर भंडारी इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस दूसरी बार जून गए है| इस बार ब्रिटेन को बड़ा झटका लगा है| सन 1946 के बाद ब्रिटेन ने पहली बार अपनी सीट खोई है|
पहले ये माना जा रहा था की संयुक्त राष्ट्र के स्थायी सदस्य- अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन की ओर से ब्रिटेन के कैंडिडेट ग्रीनवुड्स को सपोर्ट कर रहे है| ब्रिटेन खुद स्थाई सदस्य है लेकिंग जिस प्रकार दलवीर भंडारी चुने गए| उसका साफ संकेत है की भारत अब महाशक्ति के रूप में उभर रहा है|
भारत पहले से ही ये मांग करता रहा है की सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा के फैसले लोकतान्त्रिक तरिके से लिए जाने चाहिए| किसी एक सभा का असर दूसरी सभा पर नहीं पड़ना चाहिए|
इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के इतिहास में यह पहली बार है जब ब्रिटेन की इस संस्था के कोई जगह नहीं मिल पाई है|
ब्रिटिश अखबार इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट अनुसार यूरोपियन यूनियन से अलग होने के फैसले के बाद ये साफ संकेत है की अब ब्रिटेन दुनिया के शक्तिशाली देशो की श्रेणियो से अलग हो रहा है| एक वजह ये भी है की यूरोपियन यूनियन के ताकतवर देश अब ब्रिटेन के साथ पहले जैसे नहीं रहे|
दलवीर भंडारी के चुनाव ने एक बार फिर इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस पुराने समीकरणों को बदल दिया है| पहले केवल 3 एशियाई देश होते थे| लेकिंग इस बार ये चार है| इस बार इस संस्था पर एशियाई महाद्वीप का बोल बाला है|
इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अब भारत, चीन, जापान और रूस एशियाई देश प्रतिनिधित्व करेंगे|
ICJ के चुनाव में भारत को मिली जीत को कुलभूषण जाधव के केस से भी जोड़ कर देखा जा रहा है|
पिछले कुछ महीने में पाकिस्तान के दुवारा सुनाई गयी फांसी की सज़ा पर रोक लगा दी थी| सैयद अकबरुद्दीन ने बताया की इन मामलो से इस बात का कोई लेना देना नहीं है| वैश्विक समुदाय के समर्थन के कारण ही भारत को ICJ में जीत मिल सकीय है|