निर्भया केस: कभी भी दी जा सकती है दोषियों को फांसी, तिहाड़ जेल में हलचल तेज निर्भया केस के चारों दोषी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। जिनकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी गई है। जिसपर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। तिहाड़ जेल में इन आरोपियों को फांसी देने को लेकर तैयारियां शुरू ह चुकी है। तिहाड़ जेल में मौजूद फांसी कोठी में आरोपियों को फांसी दी जाती है। मीडिया न्यूज में आ रही खबरों के मुताबिक दोषियों के लिए फांसी के फंदे बनाने के निर्देश दे दिए गए है। निर्भया के दोषियों को फांसी देने को लेकर चारों तरफ हलचल तेज हो गई है।
ऐसी भी खबर सामने आ रही है की निर्भया के दोषियों को 16 या फिर 29 दिसंबर के दिन फांसी दी जा सकती है। हालांकि अभी इस बारे में पुख्ता तौर से कुछ नहीं कहा जा सकता। तिहाड़ की जेल नंबर 3 में फांसी का तख्ता है। जेल नंबर-3 की डयोढ़ी में प्रवेश करने के बाद गेट से जेल के अंदर जाते ही सीधे हाथ की ओर फांसी कोठी के लिए रास्ता जा रहा है। यहां फांसी कोठी से लगते हुए ही 16 हाई रिस्क सेल हैं। इन्हीं में से एक में अफजल को रखा गया था। इसी से लगती करीब 50 स्कवॉयर मीटर जगह में फांसी कोठी बनाई गई है। इसके गेट पर हमेशा ताला लगा रहता है।
फांसी कोठी में दाखिल होते ही बाएं तरफ फांसी का तख्ता मौजूद है। इसमें फांसी देने वाले प्लेटफार्म के नीचे एक बेसमेंट की जगह बनी है। बेसमेंट में जाने के लिए सीढ़ियां दी गई है। यही से उत्तर कर फांसी पर लटकाए गए व्यक्ति को उत्तारा जाता है।
फांसी देने की प्रक्रिया क्या है?
- फांसी की सजा पाए कैदियों को आमतौर पर सूर्योदय के बाद ही फांसी की सजा देने का रिवाज है।
- इसी तरह अक्सर गर्मी में सुबह छह बजे और सर्दी में सात बजे फांसी की सजा दी जाती है।
- तिहाड़ में इस नियम का पालन किया जाता है। फांसी घर लाने से पहले दोषी को सुबह पांच बजे नहलाया जाता है।
- इसके बाद मजिस्ट्रेट दोषी से उसकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछते हैं। इसके बाद दोषी को काला कपड़ा पहनाकर फांसी घर लाया जाता है।
- फांसी घर लाने के बाद दोषी के हाथ व पैर को रस्सी या हथकड़ी से बांध दिया जाता है। इसके बाद दोषी के मुंह को काले रंग के कपड़े से ढका जाता है।
- आमतौर पर यह पूरा काम जल्लाद करता है, लेकिन जल्लाद के न होने पर यह कार्य जेल का कर्मचारी भी कर सकता है।