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जम्मू-कश्मीर लेक्चरर की मौत, पुलिस जाँच में आर्मी के 23 लोग दोषी, केस चलाने की मांग|

जम्मू-कश्मीर में एक कॉलेज लेक्चरर की मौत के केस में पुलिस ने अपनी जांच में भारतीय सेना के 23 लोगों को दोषी ठहराया है। यह लोग 50 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) से सम्बन्ध रखते हैं। राज्य की पुलिस ने इसी के साथ इन लोगों के खिलाफ केस चलाने की इजाजत मांगी है। आरोप है कि साल 2016 में लेक्चरर की मौत सेना की हिरासत में बेरहमी से पीटे जाने की वजह से हुई थी। अवंतिपुरा एसएसपी मो.जाहिद ने बताया की, “दो हफ्ते पहले इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने जांच पूरी कर ली थी। अभी तक इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई है। हमें उनके (सेना के लोगों) खिलाफ केस चलाने के लिए ऑर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) के तहत जाँच की इजाज़त चाहिए होगी। ऐसे में मैं अभी जांच के आखरी निष्कर्ष के बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा। बता दें कि 17 अगस्त 2016 की रात को शब्बीर अहमद मंगो (30) नाम के लेक्चरर की सेना ही हिरासत में मौत हो गई थी।

जम्मू-कश्मीर लेक्चरर की मौत, पुलिस जाँच में आर्मी के 23 लोग दोषी, केस चलाने की मांग|

सेना के लोगों ने लेक्चरर को दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के शारशाली गांव में पीट-पीटकर मार दिया था। यह भी आरोप लगाया गया था कि सेना के लोगों ने गांव वालों को लकड़ी के तख्तों, सरिया और राइफल की बट से पीटा था। ग्रामीणों के मुताबिक, सेना के लोग शब्बीर के घर में घुस थे। वे उसे घसीटते हुए घर बाहर लाए और पीटने लगे, इसके बाद वे उसे अपने साथ ले गए। शब्बीर के साथ गांव के अन्य 20 नौजवानों को भी सेना के लोगो ने हिरासत में लिया था।

बाद में उसी रात सैनिक लेक्चरर के साथ तीन अन्य लोगों को थाने ले गए। शब्बीर की हालत काफी नाजुक थी, लेकिन पुलिस वाले उसे वापस ले जाने के लिए कह रहे थे। उसने पानी मांगा था, जिसके बाद वहीं उसने दम तोड़ दिया। फिर उसकी लाश पंपोर के उप-जिला अस्पताल में ले जाई गई। सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस मामले पर सेना के आरोपी जवानों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी दिए थे। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीएम ने ऐलान किया था कि राज्य में पुलिस एसआईटी इस मामले की जांच करेगी।

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जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस मामले में रणबीर पेनल कोड (आरबीसी) की धारा 364, 302, 307, 447, 427, 120-बी के तहत पंपोर पुलिस थाने में सेना के 23 लोगों के खिलाफ केस रजिस्टर किया था। हालांकि, सेना की तरफ से बाद में जवाबी एफआईआर दर्ज की गई, ताकि यह साफ किया जा सके कि शब्बीर की मौत में सेना के जवानों का कोई हाथ नहीं है। मगर इसका कोई खास फायदा सेना को नहीं हुआ। मेजर, 50 आरआर की तरफ से दाखिल कराई गई इस एफआईआर में कही गई बातें साबित नहीं हो सकीं।

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