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‘वियना कन्वेंशन’ के तहत दुश्मन देश में भी मिलती है सैनिक को ये सारी सुविधाएँ, जाने इसके बारे में

‘वियना कन्वेंशन’ के तहत दुश्मन देश में भी मिलती है सैनिक को ये सारी सुविधाएँ, जाने इसके बारे में: दो देशों के बीच चाहे कितनी ही दुश्मनी हो लेकिन अगर एक देश का सैनिक दूसरे देश के कब्जे में आ जाता है तो उसपर इंटरनेशनल प्रोटोकॉल लागू होता है जिसके तहत उसे कई सारी सुविधाएं दी जाती है| दुश्मन देश के सैनिक से जबरदस्ती पूछताछ नहीं जा सकती और न ही उसके किसी प्रकार की धमकी दी जा सकती है| बंदी सैनिक के खाने-पीने का पूरा इंतजार करना और उसे वही सारी सुविधाएँ देना जरुरी है जो उस देश के सैनिक को मिलती है|

'वियना कन्वेंशन' के तहत दुश्मन देश में भी मिलती है सैनिक को ये सारी सुविधाएँ, जाने इसके बारे में

यह सब सुविधा बंदी सैनिक को जेनेवा कन्वेंशन के तहत मिलती है| अब जब भारत ने अपने लापता वायु सेना के पायलट की पाकिस्तान के कब्जे में होने की औपचारिक तौर पर पुष्टि कर दी है|

सेंटर फॉर द स्‍टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्‍स के निदेशक प्रोफेसर एके वर्मा के अनुसार किसी भी युद्धबंदी को उसकी रैंक के मुताबिक प्रोटोकॉल दिया जाता है| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उस जवान की किसी देश से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, बल्कि वह उस देश के लिए लड़ रहा है जिसमें उसने जन्म लिया है या जिसमें वह रह रहा है| दुनिया का कोई भी देश युद्धबंदी के क्रिमिनल की तरह व्यव्हार नहीं कर सकता|

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अगर कोई देश ऐसा करता है तो इसे वियना कन्वेंशन का उल्लंघन माना जाता है| ऐसा करने वाले देश की इंटरनेशनल लेवल पर काफी बेइज्जती होती है| आपको बता दें की आम तौर पर कोई भी देश ऐसा नहीं करता क्योंकि वह जानता है की उसका देश भी युद्धबंदी बनाया जा सकता है|

आपको बता दें कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट नचिकेता पाकिस्तान के कब्जे में चले गए थे. वो कारगिल वार के अकेले युद्धबंदी थे उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार ने कोशिश की. तब उन्हें रेडक्रॉस के हवाले कर दिया गया, जो उन्हें भारत वापस लेकर आई.

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