क्यों करवा चौथ पर छलनी से चांद और पति का चेहरा देखा जाता है? देशभर में आज 01 नवंबर 2023 के दिन सुहागिन महिलाओं के द्वारा करवा चौथ का त्यौहार बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। करवा चौथ के हर चीज का एक अलग ही महत्व है और उनमें से एक छलनी, जिसे हर महिला अपनी पूजा की थाली में रखती है और ऐसी छलनी से चाँद और अपने पति को देखकर व्रत खोलती है। शादी-शुदा महिलाएं इस छलनी में पहले दीपक रख चांद को देखती हैं और फिर अपने पति को निहारती हैं. इसके बाद पति उन्हें पानी पिलाकरव्रतपूरा करवाते हैं। आज हम बताने जा रहे है करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखा जाता है चांद और पति का चेहरा?
क्यों करवा चौथ पर छलनी से चांद और पति का चेहरा देखा जाता है?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है. चांद में सुंदरता, शीतलता, प्रेम, प्रसिद्धि और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं. इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में भी आ जाएं।
इस छलनी के इस्तेमाल को लेकर एक पौराणिक कथा है की एक साहूकार के सात लड़के और एक बेटी थे. बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. रात के समय जब सभी भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आंमत्रित किया. लेकिन बहन ने कहा – “भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्य देकर भोजन करूंगी.” बहन की इस बात को सुन भाइयों ने बहन को खाना खिलाने की योजना बनाई।
भाइयों दूर कहीं एक दिया रखा और बहन के पास छलनी ले जाकर उसे प्रकाश दिखाते हुए कहा कि – बहन! चांद निकल आया है. अर्घ्य देकर भोजन कर लो. इस प्रकार छल से उसका व्रत भंग हुआ और पति बहुत बीमार हुआ.
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ऐसा छल किसी और शादीशुदा महिला के साथ ना हो इसीलिए छलनी में ही दिया रख चांद को देखने की प्रथा शुरू हुई.