नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती निबंध, कविता, भाषण, नारे, पोस्टर, Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Essay, Poem, Speech, Slogan, Poster: भारत की आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश कभी नहीं भूल सकता| नेताजी ने कई ऐसे नारे देश के युवा को दिए जिन्हे सुनने के बाद हर किसी की रगो में देशभक्ति का खून खोलता है| आज भी नेताजी के द्वारा कहे गए स्लोगन को देश के युवा बोलते है और उनसे देशहित के कार्य करने के लिए जाग्रत भी होते है| आज 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर देश उन्हें अपनी नम आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है|
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती निबंध
स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके जन्मदिवस पर देशभर के स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में निबंध, कविता, भाषण के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है| इन कार्यक्रम को देखते हुए हम आज आपके लिए निबंध, कविता, नारे, भाषण की बेस्ट कलेक्शन पेश कर रहे है|
सुभाष चन्द्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी और देशभक्त थे। इनका जन्म एक अमीर हिन्दू कायस्थ परिवार में 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ। ये जानकीनाथ बोस (पिता) और प्रभावती देवी (माता) के पुत्र थे। अपनी माता-पिता के 14 संतानों में से ये 9वीं संतान थे। इन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कटक से ली जबकि मैट्रिकुलेशन डिग्री कलकत्ता से और बी.ए. की डिग्री कलकत्ता यूनिवर्सिटी (1918 में) से प्राप्त की।
Netaji Subhash Chandra Bose Essay in Hindi
आगे की पढ़ाई के लिये 1919 में बोस इंग्लैंड चले गये। नेताजी चितरंजन दास (एक बंगाली राजनीतिक नेता) से बहुत ज्यादा प्रभावित थे और जल्द ही भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ गये। स्वराज नामक एक समाचार पत्र के माध्यम से उन्होंने लोगों के सामने अपने विचार प्रकट करना शुरु किये। उन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफ़त की और भारतीय राजनीति में रुचि रखने लगे। सक्रिय भागीदारी के कारण, इन्हें ऑल इंडिया युवा कांग्रेस अध्यक्ष और बंगाल राज्य कांग्रेस के सेक्रेटरी के रुप में चुना गया। इन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाईयों का सामना किया लेकिन कभी-भी निराश नहीं हुए।
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Kavita
दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे
सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर
मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर
मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे
प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर गगन पट झीना
जिस दिन पहुंचे होंगे देवलोक की सीमाओं पर
अमर हो गई होगी आसन से मौत मूर्च्छिता होकर
और फट गया होगा ईश्वर के मरघट का सीना
और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक –
छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल
खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल
उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक
किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर
धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत
और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश
खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।
– धर्मवीर भारती
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Poem in Hindi
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Bhashan
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी पर भाषण देने से पहले उन्हें बारे में अच्छे से पूर्ण जानकारी इक्क्ठा कर लें| सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच देकर देश की युवा पीढ़ी को नेताजी के बारे में अच्छे से बताएं और उनके द्वारा देश की आजादी में दिए योगदान को विस्तार से हर एक नागरिक को पता होना चाहिए|
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Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Slogan
तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा..
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संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था….
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अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है…
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मुझे यह नहीं मालूम की, स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन कौन जीवित बचेंगे. परन्तु में यह जानता हूँ, अंत में विजय हमारी ही होगी….
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Poster
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