दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का शुभ त्यौहार आता है और इस साल धनतेरस का ये शुभ पर्व 22 अक्टूबर को है। धनतेरस हिन्दू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन बाज़ारों में खूब भीड़ एवं रौनक देखने है। लोगों का मानना है की इस दिन वे जो भी सामान खरीदेंगे, आगे आने वाले समय में उन्हें उसका 13 गुना बढ़कर मिलेगा।
धनतेरस का इतिहास
भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा और भी कारण हैं जिसकी वजह से धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धनवंतरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था।
भगवान धनवंतरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि धनतेरस के दिन नया सामान खरीदने से धन 13 गुना बढ़ जाता है। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं।
ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। यहां तक कि धातु से आने वाली तरंगे भी थेराप्यूटिक प्रभाव पैदा करती है। इसलिए धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदन परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि इस मौके पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं बल्कि कई अन्य सामान भी लोग खरीदते हैं। कई लोग इस मौके पर बाइक या कार लेना पसंद करते हैं।
धनतेरस पूजा
धनतेरस का दिन सिर्फ सोना खरीदने के लिए नहीं बल्कि आये भगवान् जिनको शायद ही हमने साल में कभी याद किया होगा, उनकी पूजा करने और उन्हें याद करने है। धनतेरस के दिन धनवंतरी पूजा की जाती है। धनवंतरी जी की पूजा साथ-साथ निम्न देवताओं को भी पूजा जाता है :-
- कुबेर पूजन
- यम दीपदान
आज से ही तीन दिन तक चलने वाला गो-त्रिरात्र व्रत की भी शुरू होती है।
- इस दिन धन्वंतरी जी का पूजन करें।
- नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।
- सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।
- मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।
- यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।
- हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।
- कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं।
सारांश
धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।
आप सभी को धनतेरस के सुबह बधाई!!!