दिवाली की रौशनी में जगमगा उठेगा भारत, 30 अक्टूबर को आएगा ये शुभ दिन :- दीवाली या दीपावली अर्थात “रोशनी का त्योहार” शरद ऋतु (उत्तरी गोलार्द्ध) में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है। दीवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।
भारत में मनाये जाने वाले इस त्यौहार यानी दीपावली का सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टियों दोनों में ही बहुत महत्व है। इस त्यौहार को दीपोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। जैन लोग दिवाली को महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।
दिवाली का इतिहास
माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे।अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन को देख हर्षो उल्लास से भर गया था । अपने ह्रदय के प्रेम को प्रकट करने के लिए और श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।
आज के समय में किस रूप में मानते हैं दीपोत्सव को
दीपावली कोई एक दिन का त्यौहार नहीं है अपितु ये त्योहारों का समहू है। दशहरे के बाद ही दिवाली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए कपडे सिलवाते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस दिन बाज़ारों में चारों तरफ़ बहुत भीड़ होती है। बरतनों की दुकानों पर विशेष साज-सज्जा व भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है।
इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं।
अगले दिन दीपावली आती है। इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। बाज़ारों में खील-बताशे, मिठाइयाँ, खांड़ के खिलौने, लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियाँ बिकने लगती हैं। स्थान-स्थान पर आतिशबाजी और पटाखों की दूकानें सजी होती हैं। सुबह से ही लोग रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते हैं।
दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं। चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं। रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाज़ार व गलियाँ जगमगा उठते हैं। बच्चे तरह-तरह के पटाखों व आतिशबाज़ियों का आनंद लेते हैं।
सारा विश्व होता है दिवाली के इस शुभ दिन में शरीख
दिवाली को छोटा त्यौहार नहीं है, छोटे से हमारा मतलब है की इससे सिर्फ भारत में नहीं बल्कि विश्व के कोने कोने में मनाया जाता है। इसका केवल और केवल एक ही मुख्य कारण है और वो है हिन्दू परिवार की बढ़ती संख्या। दिवाली के इस अवसर को निम्न देश भी बड़े धूम – धाम से मानते हैं :
- नेपाल
- मलेशिया
- सिंगापुर
- श्री लंका
- ऑस्ट्रेलिया
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- ब्रिटेन
- न्यूज़ीलैंड
- फिजी
- मॉरिशस
- रीयूनियन
दिवाली की ख़ुशी में भूल न जाये पर्यावरण को
दिवाली आती है और चली जाती है और हमारे लिए पीछे छोड़ जाती है बहुत सारा प्रदुषण और कूड़ा। हम दिवाली मनाये, जरूर मनाये लेकिन इस ढंग से मनाये की आने समय में हमारी मौज मस्ती हम भारी न पड़ जाये। प्रदुषण रहित दिवाली मनाये ताकि इस त्यौहार में हम अपने पर्यावरण का भी ध्यान रख सकें। आप सभी को हार्दिक कामनाएं….. शुभ दीपावली।