हेलो दोस्तों नमस्कार, आज हम बात करने वाले हैं “Indian Toilet vs Western Toilet” के बारे में। समय के साथ साथ हम भारतीय संस्कृति और तौर-तरीकों को भूलते जा रहे है, और हम भारत की संस्कृति को भूलकर वेस्टर्न को कल्चर अपना रहे हैं, कई लोगो ने तो अपने खाने पीने से लेकर अपने टॉयलेट को भी वेस्टर्न तरीके से बनवाना शुरू कर दिए हैं। लेकिन एक स्टडी में पाया गया है कि वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में कई गंभीर बीमारियां उत्पन्न हो सकती है। जिसमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का नाम भी शामिल है। आजम इस आर्टिकल में आपको बताने वाले हैं कि कैसे आज भी भारतीय टॉयलेट वेस्टर्न टॉयलेट के मुकाबले कैसे बेहतर है ? तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं और जानते है कुछ रोचक तथ्य Indian Toilet vs Western Toilet के बारे में।
Indian Toilet vs Western Toilet
सबसे पहला कारण तो यह है कि इंडियन टॉयलेट इंसानी शरीर को फिट बनाने के लिए बेहद लाभदायक साबित होता है, वर्कआउट करना हमारे लिए बहुत लाभदायक साबित होता है, और एक्सपोर्ट बताते हैं कि इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करना अपने आप में एक एक्सरसाइज है। इंटरनेट का इस्तेमाल करने से आपके पूरे शरीर को काफी लाभ पहुंचता है। साथ ही साथ यह भी बताया जाता है कि जिस मुद्रा में हम इंडियन टॉयलेट पर बैठते हैं, उससे हमारे शरीर का ब्लड सरकुलेशन भी बढ़ता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करना एक एक्सरसाइज है।
वेस्टर्न टॉयलेट के आने से पहले इंसानों के मल त्यागने की पोजीशन इंडियन वाला ही रहा था। दरअसल यह पोजीशन हमें प्राकृतिक तौर पर अपनी मां के पेट में ही मिल जाता है। क्योंकि दुनिया में आने से पहले हर एक व्यक्ति मां के पेट में इसी मुद्रा में रह कर 9 महीने पेट में बिताता है। यही कारण है कि इंडियन टॉयलेट को इस्तेमाल करते समय जो पोजीशन ली जाती है उसे प्राकृतिक पोजीशन माना जाता है।
इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से इंसानी शरीर का डाइजेस्टिव सिस्टम यानी पाचन प्रक्रिया अच्छी होती है। दरअसल जिस पोजीशन में हम इंडियन टॉयलेट में बैठते हैं, उस पोजीशन में आपके पेट पर एक अलग तरीके का दबाव पड़ता है, जो पाचन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाता है, और ही हमारा पेट साफ हो जाता है।
भारतीय टॉयलेट इको फ्रेंडली होते हैं, और वही वेस्टर्न टॉयलेट बिल्कुल भी इको फ्रेंडली नहीं होते। क्योंकि वेस्टर्न टॉयलेट में सफाई के लिए टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल किया जाता है, और आप सभी को मालूम है की टॉयलेट पेपर बनाने के लिए पेड़ों को काटा जाता है, जो प्राकृतिक को हानि पहुंचाता है। साथ ही इंडियन टॉयलेट में कम पानी का इस्तेमाल किया जाता है, और वही वेस्टर्न टॉयलेट में अधिक पानी का इस्तेमाल किया जाता है।
वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय हमारे शरीर का निचला भाग टॉयलेट सीट से अटैच हो जाता है, जिसके चलते कई कटानो हमारे शरीर से चिपक जाते हैं और नमकीन बीमारी होना का खतरा रहता है, लेकिन वही दूसरी और इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय हमारे शरीर का कोई भी भाग टॉयलेट सीट से अटैच नहीं होता।
गर्भवती महिलाओं के लिए इंडियन टॉयलेट बेहद लाभदायक साबित होते हैं, क्योकि इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए महिलाओं को स्क्वायड करना होता है जो गर्भवती महिला के लिए बेहद लाभदायक साबित होता है, लेकिन वेस्टर्न टॉयलेट में ऐसा नहीं होता। कुल मिलाकर देखा जाए तो भारतीय टॉयलेट वेस्टर्न टॉयलेट के मुकाबले काफी लाभदायक है। इसी प्रकार की रोचक जानकारी जाने के लिए हमारे साथ बने रहे।