नमस्कार, आजम इंडिया के बिगेस्ट फ्रॉड के बारे में बात करने वाले हैं, जिसने पुरे भारत को हिला कर रख दिया था।इस स्कैम की बात करे तो यह स्कैम 32 हज़ार करोड़ का था, एक व्यक्ति जो रेलवे स्टेशन पर फल फ्रूट बेचने का काम किया करता था, उसने यह इतना बड़ा Scam किया था, यह जान कर हैरानी होती है। तो आज हम इस आर्टिकल में इसी स्कैम के बारे में समझेंगे, और साथ ही हम यह भी समझेंगे की इतने बड़े स्कैम को अंजाम दिया गया ? और अब्दुल करीम तेलगी (Abdul Karim Telgi) कौन है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए इस आर्टिकल को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें।
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Kaun Hai Abdul Karim Telgi (Stamp Paper Scam 2003) Wiki Bio in Hindi
All About Abdul Karim – तो आज हम बात करने वाले है अब्दुल करीम तेलगी (Abdul Karim Telgi) द्वारा किये गए स्कैम ( घोटाले) के बारे में, आपको बता दे की अब्दुल करीम तेलगी एक रेलवे के एक ऑफिसर के बेटे थे, अब्दुल के पिता बड़ी मेहनत से और बड़ी इमानदारी से रेलवे में काम कर रहे थे। उनकी जॉब की वजह से उनकी पूरी फैमिली को खाना मिलता था, अपनी जॉब के कारण उन्हें और उनकी फैमिली को खानापुर कर्नाटक के एक डिस्ट्रिक्ट में शिफ्ट होना पड़ा। वही पर Abdul Karim Telgi प्ले बड़े। जब अब्दुल करीम की उम्र 7-8 साल थी, तभी उनके पिता की डायबिटीज और अन्य बीमारियों के कारण मृत्यु हो गई। अब्दुल करीम के और भी दो भाई थे, अब्दुल रहीम और अब्दुल अजीम। अपने पिता की मृत्यु के बाद खानापुर की रेलवे स्टेशन पर जा कर फल फ्रूट बेचने लगे।
अब्दुल करीम रेलवे स्टेशन पर फल फ्रूट बेचा करता था !
उस समय खानापुर स्टेशन पर पूरे दिन में 10-12 रेलवे ट्रेन आया करती थी, इसी के भरोसे इनका परिवार चल रहा था। अपनी स्कूलिंग पूरी करने की अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, गोगटे कॉलेज से कॉमर्स साइट स्ट्रीम से बीकॉम की डिग्री हासिल की। अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरा करने के बाद अब्दुल करीम नौकरी की तलाश करने लगा, शुरुआत में अब्दुल को नौकरी ढूंढने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन कुछ समय बाद अब्दुल को पता लगा कि मुंबई शहर में नौकरियों की कोई कमी नहीं है, इसलिए वह नौकरी के लिए मुंबई चला गया।
मुंबई जाते अब्दुल करीम को Fillix India कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई, लेकिन टारगेट अचीव ना करने के कारण और अच्छी परफॉर्मेंस न होने के कारण जॉब से हाथ धोना पड़ा।इसके बाद अब्दुल को साउथ मुंबई के Kisan Guest House में मैनेजर की दूसरी जॉब मिल गई। वहां पर कुछ समय काम करने के बाद, अब्दुल करीम पैसे कमाने के लिए मिडल ईस्ट जाना चाहता था, उसे पता चला था कि मिडिल ईस्ट में जाकर काफी सारा पैसा कमाया जा सकता है। इसलिए 1986 में अब्दुल सऊदी अरेबिया चले गया था, वहां पर जाकर कुशल जॉब करे, सऊदी अरब में भी अतुल ने कई जॉब करी और छोड़ी, क्योंकि वह ठीक से काम नहीं कर रहा। जब अब्दुल को यह पता चला है कि सऊदी अरब में उसका कुछ नहीं हो रहा, तो वह फिर से मुंबई लौट आया, और यही से उसके Scam की जर्नी शुरू हुई।
Shortcut Money Making – आपको बता दें कि Abdul Karim Telgi शुरू से ही जल्दी पैसा कमाने में रुचि रखता था, उसे मेहनत की कमाई से ज्यादा शॉर्टकट में कमाई करना ज्यादा पसंद था। शॉर्टकट से पैसे कमाने के लिए वह अलग अलग तरीके ढूंढने लगा, जिस की सहायता से वह तुरंत बहुत सारा पैसा कमा सकें। उसे ध्यान दिया कि बहुत सारे ट्रैवल एजेंट्स है जो जाली पासपोर्ट बनाते हैं, उसकी सहायता से वह बहुत सारे पैसा कमाते हैं, उसी से प्रेरित होकर अब्दुल ने भी यह काम शुरू कर दिया, इस काम को शुरू करने के लिए अब्दुल ने अरेबियन मेट्रो ट्रैवल नाम के कंपनी की शुरुआत की, बहुत से लोग जो मिडल ईस्ट जाना चाहते थे, उनके पास उनके पास पूरे कागजात नहीं हुआ करते थे, अब्दुल दस्तावेजों में हेराफेरी करके अपने क्लाइंट्स को गैर कानूनी तरीके से मिडल ईस्ट भेज देता था। कुछ सालों तक अब्दुल का यह काम ठीक-ठाक चलता रहा, और इससे उसने बहुत पैसा भी कमाया, लेकिन एक दिन वह पकड़ा गया, जिसके चलते उसे जेल की हवा खानी पड़ी।
रतन सोनी कौन था ? और उस स्टैंप पेपर स्कैम का आईडिया किसने दिया था ?
जिस जेल में अब्दुल करीम को रखा गया था, उसी जेल में रतन सोनी भी था, जो स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित काम करता था, जिसमे उसने एक फ्रॉड किया था, जिसके चलते उसे भी जेल हो गई थी। इसी जेल में रतन सोनी ने अब्दुल करीम का बताया कि अगर तुम्हें क्राइम ही करना है तो कोई बड़ा कारण करो।
रतन सोनी अब्दुल करीम का बताता है कि गवर्नमेंट का जो स्टैंप ऑफिस पर ज्यादा कोई ध्यान नहीं देता, और यह एक ऐसा डिपार्टमेंट है जिस पर कोई ध्यान नहीं देता, और हम नकली स्टैंप पेपर बनाने लग जाए तो इस पर किसी का ध्यान भी नहीं जाएगा। भारत में स्टैंप पेपर का इस्तेमाल बहुत जगह किया जाता है। इसलिए हम इससे बहुत पैसा कमा सकते हैं।
जब दोनों जेल से रिहा हो जाते हैं, तो दोनों इस प्लान पर काम करना शुरू करते है। लेकिन उन्हें भी मालूम होता है की अगर हमे बड़े लेवल पर घोटाला करना है, तो हमें राजनेताओं की सहायता लेनी पड़ेगी, साथ ही साथ सरकारी अधिकारियों की भी इसमें सहायता लेनी पड़ेगी। दोनों ने मिलकर कई बड़े-बड़े नेताओं अंडरवर्ल्ड डॉन से जुड़े हुए लोगो से अपनी दोस्ती बनाई।
सबसे पहले उन्होंने 1994 में स्टैंप प्रिंटिंग का लाइसेंस लिया, ताकि जब है नकली स्टैंप पेपर बेचे तो उनपर कोई शक भी न करे। अब्दुल करीम ने स्टैंप पेपर बनाने वाली पुरानी सरकारी मशीनों को खरीदना शुरू कर दिया। साथ ही सरकारी अधिकारियों से बातचीत बनाकर स्टैंप पेपर में इस्तेमाल होने वाली सभी मटेरियल की जानकारी हासिल कर ली। ताकि वह सेम टू सेम स्टेम पेपर बना सकें। इस तरह अब्दुल करीम ने नकली स्टैंप पेपर बनाना शुरू करा और उन्हें मार्केट में सर्कुलेट किया।
लेकिन आगे चलकर रतन सोनी और अब्दुल करीम के बीच संबंध बिगड़ गए, और दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। लेकिन अब्दुल करें इसके बावजूद नकली स्टांप बनाने का काम नहीं छोड़ा। हमें इस काले धंधे को चलाने के लिए अब्दुल करीम ने 350 लोगों को काम पर रख रखा था। अपने नकली इस टाइम पेपर को मार्केट में ज्यादा से ज्यादा लाने के लिए, अब्दुल करीम ने राजनेताओं के साथ मिलकर असली स्टैंप पेपर को गलत एड्रेस पर भिजवाया और मार्केट में असली स्टेम पेपर की शॉर्टेज की, और इसके बाद कुल 18 राज्यों में अब्दुल करीम आपने नकली स्टेम पेपर को सप्लाई किया करता था।
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कितने करोड़ के नकली स्टैंप पेपर बेचे थे ?
आपको जानकर हैरानी होगी कि अब्दुल करीम ने तकरीबन 32000 करोड़ रुपए के नकली स्टेम पेपर बेच दिए थे। इन पैसो से वह अयाशियां करने लगा और लाखों करोड़ों रुपए केवल Bar और क्लब्स में उड़ाने लगा।
लेकिन साल 2000 में कुछ ऐसा हुआ, जिससे कि अब्दुल करीम का यह नकली स्टैंप पेपर्स स्कैम सामने आया। पुलिस ने अब्दुल करीम के नकली स्टांप पेपर को सप्लाई करने वाले दो व्यक्तियों को पकड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने पुलिस को सब कुछ बता दिया और इस तरह यह Scam सामने आया। जिसके बाद पुलिस को यह समझा गया था कि यह स्कैम बहुत बड़ा है, जब जब पुलिस ने अब्दुल करीम की खोज शुरू करें, तो पुलिस को पता चला कि वह भाग चुका है।
कौन-कौन से राजनीतिक नेता शामिल थे ?
बड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने अजमेर से अब्दुल करीम का आखिरकार गिरफ्तार कर लिया, पूछताछ में पता लगा कि यह स्कैम बहुत बड़ा है, जिसके बाद SIT ने इस मामले की जांच शुरू की, जांच में पता लगा कि यह स्कैम 1994 से चल रहा है, और भारत में उसने बहुत बड़ी मात्रा में नकली स्टैंप पेपर को चला दिया था। यह नकली स्टांप पेपर बेचकर अब्दुल करीम ने तकरीबन 40 से अधिक प्रॉपर्टी को खरीदा था। इस पूरे मामले में इंडियन सिक्योरिटी प्रेस (India security press), और कई राजनेताओं का नाम भी सामने आया जिसमें से एक अनिल गोटे समाजवादी जनता पार्टी के नेता।
Scam Exposed – जब अब्दुल करीम के नारकोटिक टेस्ट किया गया, तब अब्दुल ने कई राजनेताओं का नाम लिया। लेकिन बाद में इस नारकोटिक टेस्ट पर बहुत विवाद हुआ, जिसमे कहा गया की जब यह टेस्ट किया गया था तब अब्दुल करीम होश में था। इस मामले में कई सारे पुलिस ऑफिसर भी शामिल थे। जब अब्दुल करीम को अरेस्ट किया गया तो मुंबई पुलिस ने कहा हम फ्लाइट की तलाशी लेंगे और उसे साथ में लेकर जा रहे है, और बाद में पाया गया की अब्दुल करीम उन्हें पुलिस अफसरों के साथ मजे कर रहा है। तो पैसे देकर अब्दुल करीम ने सभी को खरीद लिया था, तब इस मामले की जांच पड़ताल चल रही थी पुलिस इंस्पेक्टर प्रताप काकडे की रहस्य में मृत्यु हो गई, बाद में यह मामला SIT से सीबीआई को सौंप दिया गया लेकिन इसके बाद भी ज्यादा कुछ नहीं हुआ।
अब्दुल करीम पर कितने करोड़ का फाइल लगा था ?
Political Connection – साल 2006 में कोर्ट ने अब्दुल करीम को 30 साल की सजा सुनाई, और साथ ही साथ 202 करोड़ का फाइन लगाया। आपको बता दें कि यह फाइन किसी मुजरिम पर लगाए जाने वाला अब तक का सबसे अधिक फाइन है। अब्दुल करीम के साथ-साथ उनके साथियों को भी कोर्ट ने सजा सुनाई, लेकिन बाद में अब्दुल करीम की 30 साल की सजा को घटाकर 13 साल कर दिया गया। अपनी सजा काटते काटते अब्दुल करीम की साल 2017 में मृत्यु हो गई। यह कहा जाता है कि अब्दुल करीम को भी हर्षद मेहता की तरह जेल में मार दिया गया, क्योंकि बहुत सारे राजनेताओं का नाम इस स्कैम से जुड़ा हुआ था। अब्दुल करीम की मृत्यु के बाद इस पूरे मामले की समाप्ति हो गई। हम आशा करते हैं कि आपको आर्टिकल और जानकारी जरूर पसंद आई होगी।
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