Home व्यवसाय आईये जानते है ‘एक रुपये के नोट’ के 100 साल के सफर...

आईये जानते है ‘एक रुपये के नोट’ के 100 साल के सफर के बारे में, आज हुए इसे 100 साल पूरे|

आज यानि की 30 नवंबर 2017 को भारत के ‘एक रुपये के नोट’ को 100 साल पूरे हो गए| आइए जानते है ‘एक रुपये के नोट’ के 100 साल के सफर के बारे में| क्या है इसका इतिहास? कब हुई थी ‘एक रुपये के नोट’ की शुरुआत? आज हम आपको बताएँगे इसके बारे में|

आज कल शादियों का सीजन चल रहा है और हम सभी को एक रूपये से जुडी बाते और किस्से तो याद होंगे ही| आज का समय बदल गया है आज कल एक रूपये हाथ में कम शगुन के लिफाफे में ज्यादा नजर आते है,और इन्ही लिफाफों के जरिए अब शगुन दिया जाने लगा है| लेकिन एक समय था जब एक रूपये के नोट को पूरा परिवार यहाँ वहाँ ढूंढा करता था| आज इसी एक रूपये के नोट ने आज 100 साल पूरे कर लिए है|

एक रूपये के नोट का इतिहास काफी मजेदार है| आइए जानते है इसी एक रूपये के नोट के इतिहस के बारे में| जब भारत पर अंग्रेजो का राज था तब एक रूपये के सिक्के चला करते थे, जो की चाँदी का हुआ करता था| लेकिन युद्ध के चलते और बढ़ते खर्चे ने एक रूपये के सिक्के का चलन बंद कर दिया गया|

आईये जानते है ‘एक रुपये के नोट’ के 100 साल के सफर के बारे में, आज हुए इसे 100 साल पूरे|

साल 1917 में ब्रिटिश सरकार ने पहली बार एक रूपये के नोट लोगो के सामने लाई| इस नोट ने उस चाँदी के सिक्के के स्थान लिया| आज से 100 साल पहले आज ही के दिन 30 नवंबर 1917 बाजार में आया| जिस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की फोटो लगी थी|

भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार एक रूपये के नोट की छपाई 1926 में पहली बार बंद कर दी गई थी, इसको बंद करने का कारण था इस पर लगने वाली लागत| लेकिन साल 1940 में इसे फिर से छापा गया और साल 1994 टस्क लगातार इसकी छपाई जारी रही| साल 2015 में इसे फिर से छापना शुरू किया गया|

ये भी पढ़े- 5000 और 10000 के नोट भी कभी चला करते थे भारत में

Paytm ने खोला अपना पेमेंट बैंक, देश भर में जल्द ही कंपनी खोलेगी अपने एटीएम

बता दें की इस नोट को बाकि नोट की तरह भारतीय रिज़र्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि भारत सरकार से जारी करता है| एक रूपये के नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर की बजाए देश के वित्त सचिव इस पर अपने हस्ताक्षर करते है|

क़ानूनी तौर पर यह एक वास्तविक ‘मुद्रा’ नोट (करेंसी नोट) है, जबकि बाकि नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं, जिसमे साफ लिखा होता है की में धारक को इतने रूपये अदा करने का वचन देता हूँ| दादर के एक प्रमुख सिक्का संग्राहक गिरीश वीरा ने पीटीआई से बात करते हुए बताया की पहले विश्व युद्ध के समय चाँदी की कीमत में भारी उछाल आया, इसी कारणवश एक रूपये के नोट को छापने का फैसला लिया गया और जिस पर तब के चाँदी के एक रूपये के सिक्के की फोटो भी छपी है| तभी से एक रूपये के नोट पर एक रूपये के सिक्के की फोटो है|

ब्रिटिश राज में तब के तीन वित्त सचिवों के हस्ताक्षर मिलते है| जिनके नाम एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर्स और एच. डेनिंग थे| आजादी से लेकर अब तक 18 18 वित्त सचिवों के हस्ताक्षर वाले एक रुपये के नोट बाजार में है| एक रूपये के नोट की छपाई अब तक दो बार रोकी गयी है|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here