मोदी सरकार का बड़ा फैसला देना बैंक देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा बैंक को मिलाकर बनाएँगे एक बड़ा बैंक: केंद्र की मोदी सरकार ने देश की तीन बड़े बैंको के विलय पर मोहर लगा दी है| आज सोमवार को देश के तीन बड़े बैंको को मिलकर एक बैंक बनाने के फैसले पर फाइनेंसियल सर्विसेज सेक्रेटरी राजीव कुमार ने जानकारी दी की देश के तीन बड़े बैंक विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय पर सरकार ने हरी झंडी दे दी है| इन तीनों बैंको को मिलाकर देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाने की योजना के तहत यह निर्णय लिया गया है| केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्र सरकार के बजट ओर पार्टी के बजट में भी देश में बैंक के एकीकरण की बात कही थी| अब सरकार ने इस दिशा में पहला कदम उठाते हुए इन तीन बैंको के विलय का फैसला किया है|
वित्तीय सेवा के सचिव राजीव कुमार कहा की देश में बैंकिंग क्षेत्र में सुधर के तहत ही यह फैसला लिया गया है| बैंकिंग सेक्टरों में मुलभुत सुधार किए जाएँगे| तीन बैंको के एकीकरण पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा की इससे उपभोगता पर कोई असर नहीं पड़ेगा और ना ही उन्हें किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ेगा| वही बैंक के कर्मचारियों को भी चिंता करने की कोई बात नहीं है| उन्होंने सरकार के इस कदम की बैंकिंग सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है|
We have decided to merge Dena Bank, Vijaya Bank and Bank of Baroda.
Merger of the 3 banks will make this the third largest bank of the country: Financial Services Secretary Rajiv Kumar pic.twitter.com/u7TZs0jOeg— ANI (@ANI) September 17, 2018
No employee will face any service conditions which are adverse in nature. The best of the service conditions will apply to all of them: Finance Minister Arun Jaitley on merger of Dena Bank, Vijaya Bank and Bank of Baroda. pic.twitter.com/9ym3rL12fi
— ANI (@ANI) September 17, 2018
Government had announced in the budget that consolidation of banks was also in our agenda and the first step has been announced: FM Jaitley on merger of Dena Bank, Vijaya Bank and Bank of Baroda pic.twitter.com/YC6ICSXEd0
— ANI (@ANI) September 17, 2018
एनपीए पर जेटली ने बताया कि 2008 से पहले 18 लाख करोड़ का लोन था| 2008 से 2014 के बाद ये 55 लाख करोड़ पहुंच गया| 2008 से 2014 के बीच अधिक लोन ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया| यूपीए सरकार ने एनपीए को छुपाने की कोशिश की| जानकारी के मुताबिक एनपीए 8.5 लाख करोड़ का था लेकिन 2.5 लाख करोड़ के बारे में सूचना दी गई|