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बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, महत्व, मंत्र, शाही स्नान का समय

बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, महत्व, मंत्र, शाही स्नान का समय (Basant Panchami): देशभर में इस साल बसंत पंचमी का त्यौहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा| बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा की जाती है और यह दिन माँ सरस्वती को सपर्पित होता है| माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाता है| बसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी मनाया जाता है| बसंत पंचमी का त्यौहार वैसे तो भारत के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में रहने वाले लोग इस दिन एक विशेष पूजा अर्चना करते है| बंसत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, महत्व, तिथि, मंत्र के बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है|

बसंत पंचमी 2019 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, महत्व, मंत्र

बसंत पंचमी 2023

बंसत पंचमी के दिन कई लोग प्रेम के देवता कामदेव की पूजा भी करते है| बसंत पंचमी को बसंत ऋतु के आने के उपलक्ष में भी मनाया जाता है और ऐसी मान्यता है की बसंत पंचमी के त्यौहार के बाद से ही बंसत ऋतु की शरुआत हो जाती है| ऐसा कहा जाता है की इस दिन के बाद ठंड कम होने लग जाती है और हर जगह हरियाली नजर आने लगती है| वहीं, गांवों में सरसों, चना, जौ, ज्वार और गेंहू की बालियां खिलने लग जाती हैं|

Vasant Panchami on गुरुवार, 26 जनवरी, 2023
Vasant Panchami Muhurat – 07:12 से _ 12:34 अपराह्न
अवधि –05 घंटे 21 मि
Vasant Panchami Madhyahna Moment – 12:34 अपराह्न
Panchami Tithi Begins – 25 जनवरी 2023 को दोपहर 12:34 बजे
Panchami Tithi Ends – 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 बजे

बसंत पंचमी का महत्व (Basant Panchami Ka Mahatva)

बसंत पंचमी को ऋतुओं का राजा माना जाता है| ऐसी मान्यता है की बसंत ऋतु के बाद से ठंड कम होने लगती है रो चारों तरफ हरियाली का नजर आने लगती है| जबकि हिन्दू धर्म की मान्यता के अँसुअर बसंत ऋतु के दिन माँ सरस्वती जी का जन्म हुआ था| यही वजह है की इस दिन हिन्दू धर्म के लोग इस दिन माता सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना और कीर्तन करते है| इस बार की बसंत ऋतु कुंभ मेले के दौरान पढ़ रही है और इस दिन कुंभ मेले में शाही स्नान किया जाएगा| पवित्र नदी गंगा में हजारों-लाखों की संख्या में लोग स्नान करते हुए नजर आयेंगे|

संरस्वती मां का वंदना मंत्र

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

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कैसे करें मां सरस्‍वती की पूजा?
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजी जाती हैं. अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा करें तो इन बातों का ध्यान रखें.
1. सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें
2. पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें.
3. पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें, और बच्चों को पूजा में शामिल करें.
4. इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है, पूजा के वक्त या फिर पूरे दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें.
5. बच्चों को पुस्तकें तोहफे में दें.
6. पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें.

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