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Khalistan Definition & Meaning in Hindi | खालिस्तान का क्या मतलब है जानिए इसका इतिहास और कुछ जरूरी बाते!

नमस्कार दोस्तों खालिस्तान शब्द अर्थ है खालसाओं का देश। वर्षों से पंजाब के अकाली दल द्वारा अलग देश की मांग की जा रही है जिसे खालिस्तान नाम से जाना जाता है। एक बार फिर यह खालिस्तान का मामला सुर्खियों में आ गया है। तो चलिए जानते हैं क्या होता है खालिस्तान जिसकी चर्चा समय-समय पर होती रहती है? आज के इस लेख में हम आपको खालिस्तान से जुड़ी सारी जानकारी देने जा रहे हैं।

Khalistan Definition & Meaning in Hindi | What is the meaning of Khalistan, know the history of Khalistan and some important things खालिस्तान का क्या मतलब है जानिए इसका इतिहास और कुछ जरूरी बाते!|

खालिस्तान की क्या है और इसकी मांग? | Khalistan Definition & Meaning in Hindi

खालिस्तान की कहानी 31 दिसंबर 1929 के कांग्रेस का अधिवेशन से मानी जाती है। किस अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू में पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई कांग्रेस द्वारा की गई इस माल को तीन समूहों के द्वारा विरोध किया गया था जिसमें मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग की मांग की तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दलित समूह के लिए मांग की थी और तीसरा मास्टर तारा सिंह का शिरोमणि अकाली दल। तारा सिंह ने पहली बार सिखों के लिए अलग राज्य की मांग की थी। आजादी के बाद भारत का दो हिस्सों में बटवारा हो गया और इसके साथ ही पंजाब के भी दो हिस्से बट गए जिसका एक हिस्सा पाकिस्तान और दूसरा हिस्सा भारत में रह गया जिसके बाद अकाली दल के सिखों के द्वारा अलग प्रदेश की मांग और तेज कर दी गई। शाम को पूरा करने के लिए कर 1947 से पंजाबी सूबा आंदोलन शुरू किया गया था।

सिख राजनीतिक विचारधारा, स्वायत्त सिख मातृभूमि में खालिस्तान, (पंजाबी: खालिस्तान, “खालसा की भूमि,” जिसका अर्थ है “शुद्ध”) है।

Khalistan, (Punjabi: Khālistān, “Land of the Khālsā,” meaning “pure”) in Sikh political ideology, autonomous Sikh homeland.

 

जगजीत सिंह चौहान ने की मांग

सिखों के लिए अलग राज्य खालिस्तान खालिस्तान की मांग की शुरुआत जगजीत सिंह चौहान द्वारा की गई। इसकी शुरुआत उन्होंने ब्रिटेन में खालिस्तान आंदोलन से की। जिसके लिए उन्होंने 1971 में न्यूयॉर्क टाइम्स में खालिस्तान आंदोलन के लिए फंडिंग की मांग भी की। इसके बाद जगजीत सिंह भारत लौटे और उन्होंने खालिस्तान नेशनल काउंसिल की स्थापना की।

आनंदपुर साहिब प्रस्ताव

1966 में लगातार बढ़ती सिखों की मांग को लेकर तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने अलग प्रदेश बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद पंजाब में कुछ सालों तक शांति तो रही लेकिन 1973 में अकाली दल ने पंजाब को और अधिक मांग देने की आवाज उठाई जिसके लिए उन्होंने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि कुछ जरूरी मामले जैसे रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा का अधिकार केंद्र के पास हो बाकी सभी चीजों का अधिकार पंजाब सरकार को दे दिया जाए। इसमें पंजाब को ज्यादा अधिकार देने की बात कही गई थी ना कि अलग देश बनाने की।

खालिस्तान की मांग में जनरैल सिंह भिंडरावाले ने भड़काई आग

13 अप्रैल 1978 मैं अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारी ओं के बीच एक झड़प हुई थी जिसमें तेरा काली कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी जिसके बाद से इस दिन को रोष दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पूरे झड़प में जनरल सिंह भिंडरवाला के शामिल होने की बात कही गई है। भिंडर वाले ने पंजाब और सिखों की मांग को लेकर एक बहुत ही कड़ा रवैया अपनाया था। वह जगह-जगह जाकर भड़काऊ भाषण दिया करता था।

80 के दशक में पंजाब में लगातार हिंसक घटनाएं हो रही थी जिन घटनाओं का जिम्मेदार भिंडर वाले को ठहराया गया लेकिन उसके खिलाफ सबूत ना होने की वजह से उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका। और यहां तक कि 1982 में भिंडर वाले ने पंजाब के स्वर्ण मंदिर को अपना घर बना लिया और खालिस्तान की मांग करने लगा जिसको लेकर तत्कालीन इंदिरा गांधी ऑपरेशन ब्लू स्टार लॉन्च किया। यह मामला सदियों से चिंता का विषय बना रहा है समय-समय वाले जैसे कई विद्रोही सामने आते रहे हैं जो इसको बढ़ावा देते रहते हैं।

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