दोस्तो आज हम वीर पुत्री अहिल्या बाई (Ahilyabai Holkar) के बारे में बात करने वाले हैं। यह लेख इतिहास से भरा हुआ है। अहिल्या बाई को ऐसे ही वीर पुत्री नही बोला जाता है, क्योंकि वीर होने के साथ साथ वह दिमाग से भी काफी ज्यादा तेज थी। अपनी बातों से ही सामने वाले को हरा देती थी अहिल्या बाई । इनके पास सभी सवालों के जवाब थे और यह सबसे बड़ी खूबी थी अहिल्या बाई के बारे में। बताना चाहते हैं कि इनका पूरा नाम रानी अहिल्याबाई होल्कर है। आज भी इनकी प्रतिमा काफी जगह देखने को मिलती है। यहाँ पर अहिल्या बाई के बारे में सब कुछ बताया जा रहा है।
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अहिल्या बाई का जन्म 31 मई सन् 1725 ई. को हुआ था। अहिल्या बाई (Ahilyabai Holkar) इतनी तेज थी कि इनके अपने ससुर अहिल्या बाई से काफी ज्यादा खुश रहते थे। अहिल्या बाई का जन्म महाराष्ट्र के चांऊडी गांव में हुआ था। लेकिन अफसोस कि बात ये है कि अहिल्या बाई अब हमारे बीच मे नही है क्योंकि इनका दिहांत 13 अगस्त सन् 1795 ई. को हो गया था। देश के वीर कभी मरते नही है वो हमेशा हमारे दिल मे रहते हैं। ये बात अहिल्या बाई के स्वभाव के हिसाब से एकदम सही है।
अहिल्या बाई के पिता के बारे में बात करे तो इनके पिता का नाम मानकोजी शिंदे था। अहिल्या बाई कम घराने से थी, लेकिन सोना हमेशा कम घराने में ही पैदा होता है। अहिल्या बाई की शादी बचपन में ही हो गयी थी और इनके पति का नाम खंडेराव था। ऐसा बोला जाता हैं कि खंडेराव एक युद्ध मे मारे गए थे, जिसके बाद सारा शासन अहिल्या बाई ने संभाला था। भगवान के कृपया से अहिल्या बाई को दो संतान एक पुत्र और एक पुत्री पैदा हुए थे। मालेराव पुत्र का नाम था और मुक्ताबाई पुत्री का नाम था।
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अहिल्या बाई ने 1 या 2 नही बल्कि काफी सारे योगदान दिए थे। मंदिर बनवाने के साथ साथ समाज के लिए भी इन्होंने काफी कुछ किया था। अहिल्या बाई के योगदान के बारे में नीचे विस्तार में लिखा हुआ है।
1. बनारस में अन्नपूर्णा का मन्दिर बनवाया
2. गया में विष्णु मन्दिर बनवाये
3.घाट बनवाए
4. भूखों के लिए सदाब्रत (अन्नक्षेत्र ) खोले
5. प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं
अब आप समझ गए होंगे कि अहिल्या बाई को इतना ज्यादा सम्मान क्यों दिया जाता है। अहिल्या बाई आज नही है, लेकिन धारावाहिक के मदद से आज भी इनके बारे में सुनने को मिलता है। जय हिंद।