राजेन्द्र सदाशिव निकल्जे aka ” छोटा राजन ” का कहना है की भारतीय एजेंसी ने उन्हें फ़र्ज़ी पासपोर्ट बना कर दिया था ताकि वे दौउद के लोगों से बचकर भाग सके। छोटा राजन का कहना है की “1993 के बम धमाकों के बाद , मैंने ठान लिया की इन आतंकियों को और हमारे देश के खिलाफ़ खड़े होने वाले हर तत्व को ये नष्ट करके के रहूंगा। ” यह बात उन्होंने स्पेशल जज को तब बताई ,जब उनपर फर्ज़ी पासपोर्ट इस्तेमाल करने का आरोप लगा।
छोटा राजन का कहना है की जब दौउद इब्राहिम को पता चला की 1993 के बम धमाके से जुडी ख़बर छोटा राजन भारतीय खुफ़िया एजेंसी को दे रहा है। तब दौउद ने छोटा राजन को जान से मारने की कोशिश की, छोटा राजन का कहना है की दुबई में दौउद के आदमियों ने उनसे उनका पासपोर्ट छीन लिया था। छोटा राजन को भारतीय एजेंसी ने मोहन कुमार के नाम से फर्ज़ी पासपोर्ट बना कर दिया था , जिसका इस्तेमाल करके वह किसी तरह अपनी जान बचाकर मलेशिया पहुचे और फिर वहां से बैंकॉक। बैंकॉक में दौउद के आदमियों ने फिर से उनपर जानलेवा हमला किया।
छोटा राजन का कहना है कि 1993 से भारतीय एजेंसी की मदद करते आ रहे हैं।अपनी पहचान छुपाने और दौउद के आदमियों से बच निकलने के लिए उन्हें मोहन कुमार के नाम से फ़र्ज़ी पासपोर्ट दिया गया था। हालाँकि उनका कहना है की फ़र्ज़ी पासपोर्ट बनाने में उनका कोई हाथ नहीं है, यह पासपोर्ट उनकी गैरमौजूदगी में बनाया गया था , यहाँ तक की पासपोर्ट से जुड़े दस्तावेजों पर उनके दस्तख्त भी नहीं लिए गए।