नई दिल्ली: लोकसभा में GST पर जारी चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि बीजेपी ने जीएसटी लागू करने में देर की है और इसके कारण देश को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का चूना लगाया है। मोइली ने कहा कि यूपीए सरकार इसे अप्रैल 2010 से ही लागू करना चाहती थी। लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चार बिलों पर चर्चा हो रही है जो की सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरी जीएसटी और कॉम्पेंसेशन जीएसटी बिलों को एक साथ सदन के पटल पर रखा था।
वित् मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत खाने-पीने के जरूरे सामानों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। पहला टैक्स स्लैब शून्य होगा जबकि दूसरा स्लैब- 5% और तीसरा स्लैब 12% और 18% का है। इसमें लग्जरी टैक्स स्लैब को दो भागों में बांटा गया है- टैक्स और सेस। इसमें टैक्स की दर 28 प्रतिशत होगी।
GST की जानकारी देते हुए जेटली ने कहा की अभी लग्जरी सामानों पर टैक्स की दर 40 से 65 प्रतिशत तक है। जीएसटी में हम ऐसे सामानों पर 28 प्रतिशत का टैक्स लेंगे। जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत ही राज्यों के नुकसान की भरपाई का इंतजाम कर जनता को टैक्स के अतिरिक्त बोझ से बचा लिया गया।
सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने जीएसटी पर कई सवाल खड़े किए। मोइली ने कहा कि यह कोई गेमचेंजर नहीं, बल्कि बहुत छोटा कदम है। मोइली ने पूछा, ‘अब जब जीएसटी को 6 साल बाद लागू किया जा रहा है, तो इस दौरान हुए नुकसान की जिम्मेदारी किसकी है?’ मोइली ने आगे कहा की देश को सालाना 1 से 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जीएसटी नहीं लागू होने की वजह से।
पिछली यूपीए सरकार अप्रैल 2010 में ही जीएसटी को लागू करने का लक्ष्य रखा था। विपक्ष के विरोध के बीच जीएसटी बिल पास नहीं हो पाया। दुबारा इसकी मियाद बढ़ाकर अप्रैल 2011 कर दी गई, लेकिन तब भी तत्कालीन सरकार को सफलता नहीं मिली।
टैक्स सुधार को लेकर वाजपेयी सरकार ने साल 2000 में एक कमिटी गठित की थी। साल 2004 में केलकर कमिटी ने जीएसटी का सुझाव दिया। फिर साल 2006 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी को अप्रैल 2010 से लागू करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि इसके क्रियान्वयन में केंद्र और राज्य के बीच टैक्स की साझेदारी रहेगी।
यूपीए सरकार ने 2011 में 115वां संविधान संशोधन विधेयक पेश कर विधेयक को स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा गया। साल 2013 में संसद में स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट पेश हुई। साल 2014 में सत्ता में आई बीजेपी ने जोर लगाया और 122वां संविधान संशोधन बिल पेश हुआ और अब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई 2016 से पूरे देश में जीएसटी लागू करने की मंशा जताई।