नमस्ते फ्रेंड्स कैसे है आप लोग, आज हम आपके लिए रसगुल्ले पर कविता लेकर आये है जोकि आपको काफी ज्यादा पसंदआने वाली है । आपको बता दे की इससे पहले भी हम काफी कविता लेकर आ चुके है जैसे की कोरोना पर कवित, हाथी पर कविता और मकान पर कवित। लेकिन आज हम पहली बार रसगुल्ले पर कविता लेकर आये है। अगर आप भी इस कविता को पड़ना चाहते है तो हमारे साथ जुड़े रहिये। इस कविता में क्या बताया गया है उसके बारे में हम आपको समझाने वाले है. अगर आप हमारी वेबसाइट पर नए है तो हमारे आर्टिकल को शेयर करे।
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आज की इस कविता में एक छोटे बच्चे का जिक्र किया गया है जोकि रसगुल्ले देख उसे खाने की जिद किया जा रहा है। वह अपनी माँ से रसगुल्ले खाने की जिद किया जा रहा है। इसके अलावा वह यह भी बोल रहा है की यह रसगुल्ले कितने अच्छे है। मुझे एक रसगुल्ला खाने दो । वह ये भी बोल रहा है की मुझे टिफ़िन में रसगुल्ले डाल कर देदो में स्कूल जाकर दोस्तों के साथ मिल जूल कर खा लूंगा । दोस्तों हमने अपने शब्दों में आपको यह समझाने की कोशिश करी है की इस कविता में क्या है।
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Poem on Rasgulla (kavita) in Hindi
गोल गोल सुंदर रसगुल्ले
मुझ को लगते प्यारे हैं।
मम्मी मुझको एक खिला दो
रसगुल्ले
रसगुल्ले
देखो कितने सारे हैं।
कितने मधुर रसीले मीठे
मुँह में पानी आता है।
जब भी इन पर नजर पड़ी
खाने को मन हो जाता है।
डूबे हुए चासनी में ये
माँ तेरे जैसे लगते हैं।
इनको माँ तू मुझको दे दे
ये मेरे मुँह में फबते हैं।
टिफिन में माँ रसगुल्ले रखदे ,
लंच नहीं ले जाऊँगा।
सब मित्रों के संग बाँट कर
रसगुल्ले मैं खाऊँगा।
आपको हमरे इस आर्टिकल में पूरी कविता पड़ने को मिल सकती है। इस कविता का इस्तेमाल आप स्कूल या फिर collage के फंक्शन में कर सकते है। आप चाहे तो इस कविता को फेसबुक पर भी शेयर कर सकते है। या फिर इंस्टाग्राम पर भी शेयर करके फोल्लोवेर्स बड़ा सकते है। आपको हमारी कविता कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताये । इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा like और शेयर करे। आप चाहे तो हमें यह भी बता सकते हैं की आप अगली कविता कौन सी सुन्न्ना चाहते है. आशा करते है की आपको हमारी वेबसाइट के सभी आर्टिकल पसंद आते होंगे जय हिंद।
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