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भगवद् गीता सुविचार Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Best Bhagavad Gita Quotes in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करने वाले हैं हिंदू धर्म के बहुत अधिक मान्यता वाली किताब ” भगवत गीता कोट्स” के बारे में, जैसा कि आप सभी जानते हैं इन दिनों दूरदर्शन चैनल पर लॉक डाउन के कारण महाभारत को फिर एक बार रीटेलीकास्ट किया गया है। दर्शक महाभारत को देखना बेहद पसंद कर रहे हैं इसी को मद्देनजर रखते हुए आज हम आपके लिए भगवद गीता कोट्स लेकर आए है। कुरुक्षेत्र की भूमि पर कौरवों और पांडवों के बीच हुए इतिहास का सबसे बड़े महायुद्ध हुआ था, जिसे महाभारत का नाम दिया गया। अगर आपको नहीं मालूम तो आपको बता दे की अर्जुन परिवार के मोह में फँसकर भ्रमित हो गए थे तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भागवत गीता का उपदेश सुनाया था । भगवत गीता का हिंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता है, भगवत गीता में जीवन की शुरुआत से लेकर जीवन के अंत तक का वर्णन किया गया है।

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Bhagavad Gita Quotes in Hindi

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवत गीता को तीन भागों में विभाजित किया गया है। इन वर्गों को कुल 18 अध्याय में लिखा गया है। इस प्रकार से हर वर्ग में 6 अध्याय आते हैं, वैसे तो भगवत गीता को हर किसी को पढ़ना चाहिए क्योंकि बहुत गीता में ऐसी महत्वपूर्ण बातें लिखी गई है जिन्हें पढ़कर आप अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं और जीवन का महत्व समझ सकते हैं। लेकिन कहीं ना कहीं यह भी सत्य है कि आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में इतना समय किसी के पास नहीं है कि वह भगवत गीता पढ़ सके। लेकिन इस समस्या का एक समाधान है भगवत गीता की कुछ महत्वपूर्ण लाइनों को कोर्ट के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। जिन्हें आप पढ़कर भगवत गीता के अनमोल विचारों को पढ़ और समझ सकते हैं साथी साथ इन्हें आप अपने सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते हैं।

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भगवद्गीता Quotes In Hindi And English

भगवत गीता में वैसे तो कई हजारों विषय पर बात की गई है लेकिन इस आर्टिकल में कुछ महत्वपूर्ण विषय पर बात करने वाले हैं, उन्हीं में से एक क्रोध है। हर एक मनुष्य अपने जीवन में क्रोध जरूर करता है जो कि सामान्य बात है। लेकिन कई बार आपका क्रोध आपको कई बड़ी समस्याओं में उलझा देता है। इस उलझन से बचने के लिए आप भगवत गीता में दिए गए क्रोध पर महत्वपूर्ण बातों को पढ़कर अपने क्रोध पर नियंत्रण पा सकते हैं।

क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है ।

एक उपहार तभी अलसी और पवित्र है जब वह हृदय से किसी सही व्यक्ति को सही समय और सही जगह पर दिया जाये, और जब उपहार देने वाला व्यक्ति दिल में उस उपहार के बदले कुछ पाने की उम्मीद ना रखता हो।

कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं ।

अपने अनिवार्य कार्य करो, क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है ।

मैं आत्मा हूँ, जो सभी प्राणियों के हृदय(दिल) से बंधा हुआ हूँ। इसके साथ ही मैं सभी प्राणियों का शुरुवात हूँ, मध्य हूँ और समाप्त भी हूँ ।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।

केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है ।

जो व्यक्ति आध्यात्मिक जागरूकता के शिखर तक पहुँच चुके हैं , उनका मार्ग है निःस्वार्थ कर्म . जो भगवान् के साथ संयोजित हो चुके हैं उनका मार्ग है स्थिरता और शांति.

वह जो अपने भीतर अपने स्वयं से खुश रहता है, जिसके मनुष्य जीवन एक आत्मज्ञान है, और जो अपने खुद से संतुष्ट हैं, पूरी तरीके से तृप्त है – उसके लिए जीवन में कोई कर्म नहीं हैं।

जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता है ।

भगवद् गीता Quotes on Mind

अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण पाना काफी कठिन होता है, लेकिन भगवत गीता में इस बात की ओर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है कि हमें अपने मस्तिष्क पर पूरा नियंत्रण बनाए रखना चाहिए। ऐसा करने से आप अपने जीवन की कई समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं और अपने जीवन में सफलता की ओर बढ़ सकते हैं। इसलिए नीचे हमने आपके लिए भगवद गीता कोट्स प्रस्तुत किये है। अनमोल विचारों को पढ़कर आप अपने मस्तिष्क पर कैसे नियंत्रण पाएं सीख सकते हैं और अपने दोस्तों को भी सिखा सकते हैं। Kali Puja Wishes, Messages, Status, Shayari, Quotes

हर व्यक्ति का विश्वास उसके स्वभाव के अनुसार होता है।

जो दान बिना सत्कार के,कुपात्र को दिया जाता है वह तमस दान कहलाता है।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है ।

हमेशा संदेह करने से खुद का ही नुकसान होता है।संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न ही इस लोक में है और न ही किसी और लोक ।

मन बहुत ही चंचल होता है और इसे नियंत्रित करना कठिन है. परन्तु अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है ।

जो इंसान ज्ञान और कर्म को एक सामान देखता है, सिर्फ उसी व्यक्ति का नजरिया सही है ।

यद्द्यापी मैं इस तंत्र का रचयिता हूँ, लेकिन सभी को यह ज्ञात होना चाहिए कि मैं कुछ नहीं करता और मैं अनंत हूँ ।

Bhagavad Gita Quotes on Love in Hindi

हर धर्म में मनुष्य से प्यार करना सिखाया जाता है, इसी प्रकार भगवत गीता में भी मनुष्य से मनुष्य को प्यार करना सिखाया है। भगवत गीता में कहा गया है कि “जो मुझसे प्रेम करते है और मुझसे जुड़े हुए है, मैं उन्हें हमेशा ज्ञान देता हूँ” इसी प्रकार की विचारधारा आप अपने मन में स्थापित कर सकते हैं और इस दुनिया को अलग नजरिए से देख सकते हैं।

संसार के सयोग में जो सुख प्रतीत होता है , उसमे दुःख भी मिला रहता है । परन्तु संसार के वियोग से सुख दुःख से अखंड आनंद प्राप्त होता है ।

मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय, किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ ।

जो मुझसे प्रेम करते है और मुझसे जुड़े हुए है, मैं उन्हें हमेशा ज्ञान देता हूँ ।

हमेशा आसक्ति से ही कामना का जन्म होता है ।

भय ,राग, द्वेष और आसक्ति से रहित मनुष्य ही इस लोक और परलोक में सुख पाते है ।

सभी वेदों में से मैं साम वेद हूँ, सभी देवों में से मैं इंद्र हूँ, सभी समझ और भावनाओं में से मैं मन हूँ, सभी जीवित प्राणियों में मैं चेतना हूँ।

Bhagavad Gita Quotes on Death

जैसे कि हमने आपको पहले बताया की भगवत गीता में जीवन और मृत्यु के चक्कर को बहुत अच्छे से समझाया गया है। भगवत गीता में मृत्यु पर कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई है, जिसे पढ़कर आप मृत्यु का असली महत्व समझ सकते हैं। भगवत गीता में बताया गया है कि मनुष्य मरने के बाद भी जिंदा रह सकता है अगर उसने अच्छे कर्म किये हो।पढ़िए! शेरावाली माता की सवारी शेर ही क्यों है?

आत्मा को शास्त्र नहीं काट सकते , अग्नि नहीं जला सकती , जल नहीं गाला सकता , वायु नहीं सूखा सकती ।

उत्पन्न होने वाली वस्तु तो स्वतः ही मिटती है ,जो वस्तु उत्पन्न नहीं होती वह कभी नहीं मिटती |आत्मा अजर अमर है और शरीर नश्वर है |

तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है, और फिर भी ज्ञान की बात करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।

न तो यह शरीर तुम्हारा है और न तो तुम इस शरीर के मालिक हो. यह शरीर 5 तत्वों से बना है – आग, जल, वायु पृथ्वी और आकाश । एक दिन यह शरीर इन्ही 5 तत्वों में विलीन हो जाएगा ।

भगवान या परमात्मा की शांति उनके साथ होती है जिसके मन और आत्मा में एकता/सामंजस्य हो, जो इच्छा और क्रोध से मुक्त हो, जो अपने स्वयं/खुद के आत्मा को सही मायने में जानते हों।

सन्निहित आत्मा के अनंत का अस्तित्व है, अविनाशी और अनंत है, केवल भौतिक शरीर तथ्यात्मक रूप से खराब है, इसलिए हे अर्जुन लड़ते रहो।

Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit with Hindi Translation

वैसे तो भगवत गीता को कई भाषाओं में लिखा गया है, अगर आपको संस्कृत भाषा में भगवद गीता कोट्स पढ़ना पसंद है, तो आप नीचे भगवत गीता की महत्वपूर्ण बातें संस्कृत भाषा में पढ़ सकते हैं, जिन्हें आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर भी कर सकते हैं।

कर्मणये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन ।
मां कर्मफलहेतुर्भू: मांते संङगोस्त्वकर्मणि।।

अर्थ – भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, सिर्फ तू कर्म कर, कर्म के फल की इच्छा मत रख, कर्म फल को देने का अधिकार सिर्फ ईश्वर का है, और न ही खली बेठ अर्थार्थ मनुष्य की गति हमेशा ही कर्म में रहनी चाहिए, कर्म फल को ईश्वर पर छोड दे|

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे।

अर्थ – सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।अर्थार्थ, इस संसार में जब – जब धर्म की हानी होगी और अधर्म का लाभ होगा तब – तब मै धर्म की स्थापना के लिए इस धरती पर जन्म लेता रहूँगा |

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।

अर्थ – काम क्रोध और लोभ-ये तीन प्रकारके नरक के दरवाजे जीवात्मा का पतन करनेवाले हैं| इसलिये मनुष्य को शांति पूर्वक जीवन जीने के लिए इन तीनों का त्याग कर देना चाहिये।

यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्‍क्षति।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥

अर्थ – जो न कभी हर्षित होता है, न द्वेष करता है, न शोक करता है, न कामना करता है तथा जो शुभ और अशुभ सम्पूर्ण कर्मों का त्यागी है- वह भक्तियुक्त पुरुष मुझको प्रिय है ।

लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः ।
छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः ॥

अर्थ – जिनके सब पाप नष्ट हो गए हैं, जिनके सब संशय ज्ञान द्वारा निवृत्त हो गए हैं, जो सम्पूर्ण प्राणियों के हित में रत हैं और जिनका जीता हुआ मन निश्चलभाव से परमात्मा में स्थित है, वे ब्रह्मवेत्ता पुरुष शांत ब्रह्म को प्राप्त होते हैं ।

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥

अर्थ – श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी के अनुसार बरतने लग जाता है।

Gita Suvichar in Hindi

वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है ।

एक योगी, तपस्वी से बड़ा है, एक अनुभववादी और एक कार्य के फल की चिंता करने वाले व्यक्ति से भी अधिक। इसलिए, हे अर्जुन, सभी परिस्तिथियों में योगी बनो।

मैं सभी प्राणियों को एकसमान रूप से देखता हूं। मेरे लिए ना कोई कम प्रिय है ना ज्यादा, लेकिन जो मनुष्य मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं। वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूं।

हे अर्जुन तू युद्ध भी कर और हर समय में मेरा स्मरण भी कर ।

पूर्णता के साथ किसी और के जीवन की नकल कर जीने की तुलना में अपने आप को पहचानकर अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है।

आपको हमारे द्वारा लिखा गया “Bhagavad Gita Quotes” आर्टिकल पसंद आया है और आपको इस से बहुत कुछ सीखने को मिला है तो आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि आपको भगवत गीता में लिखी गई बातें जरूर पसंद आई होगी। इनका उपयोग आप अपने व्हाट्सएप स्टेटस, इंस्टाग्राम, फेसबुक टाइमलाइन, स्नैपचैट स्टोरी, टिकटोक वीडियो इत्यादि में कर सकते हैं। इसी प्रकार की धार्मिक कोट्स पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहे800 

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