World Earth Day 2022 Poems in Hindi: पृथ्वी दिवस जिसे इंग्लिश भाषा में (World Earth Day) कहां जाता है। इस दिन को पूरे विश्व भर में मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को विश्व में पर्यावरण संरक्षण के तौर पर बनाया जाता है। हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। 190 देशों से अधिक देश में इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। पृथ्वी दिवस को सबसे पहले 1970 में अमेरिका के एक सैनीटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा मनाया गया था।आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके सामने धरती बचाओ पर कविता, धरती माँ पर कविता, पृथ्वी दिवस par kavita, पृथ्वी पर छोटी कविता, इत्यादि टॉपिक लेकर आये है। जो आपको जरूर पसंद आने वाले हैं।
Prithvi Diwas Par Nibandh | World Earth Day Essay in Hindi
पृथ्वी दिवस कब मनाया जाता है ?
अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस (World Earth Day) विश्व भर में 22 अप्रैल को मनाया जाता है। इस वर्ष 22 अप्रैल को संडे यानी रविवार का दिन है। आज हम आपके लिए लेकर आये है पृथ्वी दिवस एस्से इन हिंदी, पृथ्वी दिवस पर विचार, पृथ्वी दिवस का महत्व व शायरी, पृथ्वी दिवस पर स्लोगन, Kavita on Earth Day in Hindi, पृथ्वी दिवस पर कविता, Kavita on Prithvi Diwas, Prithvi Diwas Kavita इत्यादि जिन्हें आप PDF फाइल में भी डाउनलोड कर सकते हैं।
विश्व पृथ्वी दिवस 2022 विशेस, मैसेज, कोट्स, इमेज
पृथ्वी पर कविता
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
ग्रह-ग्रह पर लहराता सागर
ग्रह-ग्रह पर धरती है उर्वर,
ग्रह-ग्रह पर बिछती हरियाली,
ग्रह-ग्रह पर तनता है अम्बर,
ग्रह-ग्रह पर बादल छाते हैं, ग्रह-ग्रह पर है वर्षा होती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
पृथ्वी पर भी नीला सागर,
पृथ्वी पर भी धरती उर्वर,
पृथ्वी पर भी शस्य उपजता,
पृथ्वी पर भी श्यामल अंबर,
किंतु यहाँ ये कारण रण के देख धरणि यह धीरज खोती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
सूर्य निकलता, पृथ्वी हँसती,
चाँद निकलता, वह मुसकाती,
चिड़ियाँ गातीं सांझ सकारे,
यह पृथ्वी कितना सुख पाती;
अगर न इसके वक्षस्थल पर यह दूषित मानवता होती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
Earth Day Poems in Hindi
बचपन में पढ़ते थे
ई फॉर एलीफैण्ट
अभी भी ई अक्षर देख
भारी-भरकम हाथी का शरीर
सामने घूम जाता है
पर अब तो ई
हर सवाल का जवाब बन गया है
ई-मेल, ई-शॉप, ई-गवर्नेंस
हर जगह ई का कमाल
एक दिन अखबार में पढ़ा
शहर में ई-पार्क की स्थापना
यानी प्रकृति भी ई के दायरे में
पहुँच ही गया एक दिन
ई-पार्क का नजारा लेने
कम्प्यूटर-स्क्रीन पर बैठे सज्जन ने
माउस क्लिक किया और
स्क्रीन पर तरह-तरह के देशी-विदेशी
पेड़-पौधे और फूल लहराने लगे
बैकग्राउण्ड में किसी फिल्म का संगीत
बज रहा था और
नीचे एक कंपनी का विज्ञापन
लहरा रहा था
अमुक कोड नंबर के फूल की खरीद हेतु
अमुक नम्बर डायल करें
वैलेण्टाइन डे के लिए
फूलों की खरीद पर
आकर्षक गिटों का नजारा भी था
पता ही नहीं चला
कब एक घंटा गुजर गया
ई-पार्क का मजा ले
ज्यों ही चलने को हुआ
उन जनाब ने एक कम्प्यूटराइज्ड रसीद
हाथ में थमा दी
आखिर मैंने पूछ ही लिया
भाई! न तो पार्क में मैने
परिवार के सदस्यों के साथ दौड़ लगायी
न ही अपने टॉमी कुत्ते को घुमाया
और न ही मेरी पत्नी ने पूजा की खातिर
कोई फूल या पत्ती तोड़ी
फिर काहे की रसीद ?
वो हँसते हुये बोला
साहब! यही तो ई-पार्क का कमाल है
न दौड़ने का झंझट
न कुत्ता सभालने का झंझट
और न ही पार्क के चौकीदार द्वारा
फूल पत्तियाँ तोड़ते हुए पकड़े जाने पर
सफाई देने का झंझट
यहाँ तो आप अच्छे-अच्छे
मनभावन फूलों व पेड़-पौधें का नजारा लीजिये
और आँखों को ताजगी देते हुये
आराम से घर लौट जाईये !!
Earth Day Par Hindi Kavita
हरी -हरी वह घास उगाती है
फसलों को लहलहाती है
फूलों में भरती रंग
पेड़ों को पाल पोस कर ऊंचा करती
पत्ते पत्ते में रहे जिन्दा हरापन
अपनी देह को खाद बनाती है
धरती इसी लिए माँ कहलाती है |
पानी से तर हैं सब
नदियाँ, पोखर, झरने और समंदर
ज्वालामुखी हजारों फिर भी
सोते धरती के अन्दर
जैसा सूरज तपता आसमान में
धरती के भीतर भी दहकता है
गोद में लेकिन सबको साथ सुलाती है
धरती इसी लिए माँ कहलाती है .
आग पानी को सिखाती साथ रहना
हर बीज सीखता इस तरह उगना
एक हाथ फसलें उगा कर
सबको खिलाती है
दुसरे हाथ सृजन का ,
सह -अस्तित्व का ,
एकता का – पाठ पढ़ाती है
धरती…इसी लिए माँ कहलाती है।
विश्व पृथ्वी दिवस पर कविता
नदी किनारे एक गांव है,
और नीम की घनी छांव है।
ऊपर कुछ पक्षी बैठे थे,
दादाजी नीचे लेटे थे।
नदी हुई बेहद पतली थी,
सूख गई काया लगती थी।
सोच रहे थे पक्षी सारे,
बैठ नीम पर सांझ-सकारे।
अगर नहीं भू पर जल होगा,
धरती का सोचो क्या होगा?
यदि यह बंजर हो जाएगी,
दुनिया कैसे बच पाएगी।धरा वस्त्र थे ये पेड़, जल था आभूषण ।
कर दिया सब खत्म, लाकर ये प्रदूषण॥
धरती की सुंदरता, थी उसकी हरियाली।
छीनी नासमझों ने, पाने क्षणिक खुशहाली॥
अब देखो मौसम बदले, फैलें नई-नई बीमारी।
अब तो संभल जाओ, समझो जिम्मेदारी॥
ऐसे कैसे बने लालची, बढ़ा ली है आफत।
कहाँ गई वो समझदारी, तुमको तो है लानत॥
अपने आने वाले बच्चों को, थोड़ा तो करो प्यार।
पेड़ लगाकर बन जाओ तुम, अब तो समझदार॥
जागरूक होने में ही है, आज सबकी भलाई।
विश्व पृथ्वी दिवस 2022 निबंध, कविता, स्लोगन, पोस्टर
हिंदी कविता पृथ्वी पर
सभी ग्रहों में से पृथ्वी है अनमोल,
पृथ्वी पर कई तरह के होते है बल…
घर्षण बल के कारण चलते- फिरते,
घर्षण बल कम करने से आगे बढ़ नही पाते…
गुरुत्त्वा कर्षण बल पृथ्वी में होता,
यह सभी को अपनी ओर खीचता….
नही किसी को यह दिखता,
अपना कार्य स्वंय यह करता…
पृथवी पर सब कुछ है मिलता,
सूरज, चंदा, तारे, आसमान पास में दिखता…
छोटे नन्हे मुन्ने पौधे पृथ्वी पर उगते,
जो हरदम सबको ऑक्सीजन देते …
ऑक्सीजन से ही हम जीवित रहते,
कार्बनडाई आक्साइड पौधों को देते…
सभी ग्रहों में पृथ्वी है अनमोल,
नीली सुंदर दिखती गोल…
क्या देगा इसका कोई मोल,
इससे करो न कोई खेल …
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