Watch 67th नेहरू ट्रॉफी बोट रेस 2019 Punnamda Lake, Allahpuzha 31st August Result Winner :- दक्षिण भारत के राज्य केरल में होने हर साल आयोजित होने वाली नेहरू बोट रेस प्रतियोगिता दुनियाभर में काफी मशहूर है। हर साल नेहरू बोट रेस प्रतियोगिता का आयोजन अगस्त के महीने में किया जाता है। इस बार नेहरू बोर्ड प्रतियोगिता का आयोजन कब होगा? शेड्यूल, टाइम टेबल, प्राइस मनी आदि के बारे में विस्तृत रूप से नीचे जानकारी दी गई है। आप अगस्त के महीने में केरल में पहुंचकर इस बोट रेस का मजा उठा सकते है।
बता दें की केरल में इसका आयोजन पुन्नमडा लेक में किया जाता है। इस प्रतियोगिता में 100 से 140 नाविक हिस्सा लेते है। इन नाविकों में हिंदू, ईसाई, मुस्लिम आदि सभी धर्मों के लोग मिलकर हिस्सा लेते हैं। सामुदायिक सौहार्द की इससे सुंदर मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलती। जहां मजबूत भुजाओं वाले नाविक एक लय में चप्पू से नाव को खेते हैं वहीं इनके बीच बैठे हुए गायक अपने साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए बोट सोंग्स गाते हैं। इन्हीं के साथ दो ड्रमर भी होते हैं जो बड़े उत्साह के साथ ड्रम बजा कर अपने नाविकों में जोश भरते हैं।
नेहरू ट्रोफी बोट-रेस 2019
‘नेहरू ट्रोफी बोट-रेस’ का इतिहास पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के ‘आलप्पुष़ा-पर्यटन’ से जुडा है, जो भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री थे। इस यात्रा के दौरान, चारों ओर पानी से घिरे कुट्टनाड् में कोट्टयम से आलप्पुषा तक एक नाव में जाने का अवसर उन्हें मिला। उनके पीछे अनेक अलंकृत नावों का जुलुस था। 1952 में चुण्डनवल्लों की पहली प्रतियोगिता बिलकुल आकस्मिक थी जो नेहरूजी के सम्मानार्थ आयोजित की गयी थी। इसमें ‘नडुभागम् चुण्डन’ ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
67th Nehru Trophy Boat Race 2019 Punnamda Lake
नाव खेनेवालों के उम्दा प्रकटन देखकर पंडितजी उत्तेजित हो गये। सुध-बुध खोकर, सुरक्षा-प्रबंधों की पर्वाह किए बिना आवेश के साथ नडुभागम् चुण्डन के अंदर वे कूद पडे। आगे, प्रधानमंत्री को लेकर नाव, पोतघाट (Boat Jetty) की ओर बढ़ी। दिल्ली पहूँचकर दिसंबर 1952 में नेहरूजी ने चाँदी का एक जयस्मारक (ट्रोफी) जो काष्ठनिर्मित पटियों पर स्थित चुण्डनवल्लम की प्रतिकृति है, उपहार के रूप में दिया।
The Venue and Schedule of The Snake Boat Race 2016:
Venue: Punnamada Lake, Alappuzha, Kerala
Date: 31th August 2019
Time: 2:30 PM (IST)
इस रेस के इतिहास पर नजर डाली जाए तो 400 साल पहले ट्रावणकोर के राजाओं में बोट रेस के आयोजन करवाने के प्रमाण मिलते है। सांप जैसी आकृति वाले इस बोट की लंबाई 128 फीट होती थी। यहां तक की प्रतिद्वंद्वी राजाओं द्वारा बनवाई जा रही बोट की जासूसी के लिए गुप्तचरों का सहारा भी लिया जाता था। उस दौर से लेकर आज तक केरल की इन बोट रेसों में प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर देखी जाती है।