2019: रबीन्द्रनाथ टैगोर जयंती का महत्व,जीवन परिचय,रचनाएँ- देशभर में 7 मई के दिन का विशेष महत्व है| इस दिन 1861 को जोड़ासांको में ठाकुर रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म हुआ था| रबीन्द्रनाथ टैगोर को भारतीय राष्ट्रगान की रचयिता और काव्य, कथा, संगीत, नाटक, निबंध जैसी साहित्यिक विधाओं और चित्रकला के क्षेत्र में भी कलाकार के रूप में किये गए कार्य की वजह से याद किया जाता है| रवींद्रनाथ टैगोर के जयंती पर देशभर के अलग-अलग हिस्सों में कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है|
रवींद्रनाथ टैगोर को साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों एक विशेष ख्याति प्राप्त थी, जिसकी वजह से उन्हें नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था| वे प्रकृति के साथ जुड़कर कार्य करने को काफी अच्छा मानते थे| उनका विचार था की छात्रों को प्रकृति से जुड़े रहकर शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए| रवींद्रनाथ जी ने शांति निकेतन की स्थापना की|
रबीन्द्रनाथ टैगोर जयंती
रवींद्रनाथ टैगोर दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि थे जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया| बचपन से कुशाग्र बुद्धि के रवींद्रनाथ ने देश और विदेशी साहित्य, दर्शन, संस्कृति आदि को अपने अंदर समाहित कर लिया था और वह मानवता को विशेष महत्व देते थे। इसकी झलक उनकी रचनाओं में साफ दिखती है|
रवींद्रनाथ टैगोर ने साहित्य के क्षेत्र में काफी योगदान दिया और यही वजह रही की उनकी रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से नवाजा गया| समीक्षकों के अनुसार उनकी कृति ‘गोरा’ कई मायनों में अद्भुत रचना है। इस उपन्यास में ब्रिटिश कालीन भारत का जिक्र है। राष्ट्रीयता और मानवता की चर्चा के साथ पारंपरिक हिन्दू समाज और ब्रह्म समाज पर बहस के साथ विभिन्न प्रचलित समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है।
ठाकुर रबीन्द्रनाथ टैगोर का नाम भारत के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक आते है| वे कवी होने के साथ साथ एक साहित्यकार, दार्शनिककार, रचनाकार थे| उनको गुरूजी के नाम से भी जाना जाता है| वे भारत के साहित्य के एकमात्र ऐसे कवी थे जिन्होंने नोबल पुरस्कार जीता हुआ है| वे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार जीतने वाले व्यक्ति थे|
रवींद्रनाथ टैगोर के जन्मोत्सव को बंगाली भाषी लोग बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाते है| भारत और बांग्लादेश में रवींद्रनाथ जी को एक विशेष दर्जा प्राप्त है| टैगोर जयंती के अवसर पर दोनों ही देशों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते है| उनकी जयंती पर साहित्य के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है|