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ISRO’s GPS Part of Apple iPhone 15 News: आखिर क्या है यह NavIC सिस्टम, जिसे ऐपल ने अपने लेटेस्ट फ़ोन में इस्तेमाल किया है !

नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप सभी को मालूम है कैलिफोर्निया की टेक कंपनी ऐपल ने बीते मंगलवार को अपना लेटेस्ट iPhone 15 लाइनअप लॉन्च कर दिया है। जिसके अंतर्गत iPhone 15, iPhone 15 Plus, iPhone 15 Pro और iPhone 15 Pro Max कुल चार मॉडल को लांच किया गया है। इसमें आपको  USB टाइप-C पोर्ट से लेकर नए फीचर्स और कैमरा अपडेट मिल जाता है, रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले टाइटेनियम से इस पहले की बॉडी को बनाया गया है। लेकिन आज हम इस फ़ोन में मिलने वाले एक ऐसे अपडेट के बारे में बात करने वाले है, जो हर एक भारतीय के लिए गर्व की बात होने वाली है। जी हां दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे की देसी नेविगेशन सिस्टम को भी नए आईफोन मॉडल्स का हिस्सा बनाया गया है। तो चलिए इसके बारे में विस्तार में पढ़ते है।

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ISRO's GPS Part of Apple iPhone 15 News in Hindi | What is this NavIC system, which Apple has used in its latest phone? | Apple includes navic navigation system in iphone 15 series which in developed by ISRO

ISRO’s GPS Part of Apple iPhone 15 News

जैसा कि आप सभी को मालूम है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में चंद्रयान 3 के जरिए चांद की सतह पर भारत को पहुंचाकर देश का गौरव बढ़ाया है, और अब ISRO ने एक बार भारतीयों को गर्व महसूस कराया है। अब इसके GPS को iPhone 15 मॉडल्स का हिस्सा बनाया गया है। आईफ़ोन 15 सीरीज़ में एप्पल ने बहुत सारे महत्वपूर्ण तकनीकी फीचर्स जोड़े हैं। इसमें प्रिसाइजन डुअल-फ्रीक्वेंसी जीपीएस (जीपीएस, जीएलओएनएस, गैलिलियो, क्यूज़ेएसएस, बेडू और नैविक) है, जिसकी मदद से यूज़र्स अपनी लोकेशन को बहुत ही सटीकता से ट्रैक कर सकते हैं। इसके साथ ही, इसमें डिजिटल कंपास, वाई-फाई, सेल्युलर कनेक्टिविटी, और आईबीकन माइक्रो-लोकेशन भी शामिल हैं, जो उपयोगकर्ताओं के लिए और भी बेहतर लोकेशन ट्रैकिंग का अनुभव करने में मदद करते हैं। यहाँ तक कि इसमें नैविक भी शामिल है, जिसका विकास आईएसआरओ की टीम ने किया है।

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आखिर क्या है यह NavIC सिस्टम?

अब आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर क्या है यह NavIC सिस्टम? ISRO ने भारत में पोजीशनिंग और नेविगेशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक स्वदेशी रीजनल नेविगेशन सिस्टम तैयार किया है, जिसे हम नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) कहते हैं। पहले इस सेवा का नाम इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) था। यह सिस्टम 7 सैटेलाइट्स और एक ग्राउंड स्टेशन के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो 24 घंटे, सात दिनों तक चालता है। इसके माध्यम से हम पोजीशनिंग, नेविगेशन और लोकेशन ट्रैकिंग को बहुत आसानी से कर सकते हैं और हमें विदेशी सेवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।

देश और विदेश में सब जगह होगा इस्तेमाल

NavIC से हमें दो प्रकार की सेवाएं मिलती हैं। पहली है ‘स्टैंडर्ड पोजीशनिंग सर्विस’ (SPS), जो सामान्य लोगों के लिए होती है, और दूसरी है ‘रिस्ट्रिक्टेड सर्विस’ (RS), जो सैन्य और सुरक्षा से जुड़े कामों के लिए होती है। NavIC का कवरेज भारत के सीमा से बाहर जाकर 1500 किलोमीटर तक है। NavIC के सिग्नल्स 20 मीटर तक की सटीकता से पोजीशन बता सकते हैं और 50 नैनोसेकेंड की सटीकता से समय बता सकते हैं। इसे अन्य ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) सिग्नल्स (जैसे- GPS, Glonass, Galileo और BeiDou) के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश और दुनिया से जुड़ी ताज़ा खबरे पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहे

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