केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को फर्जी डिग्री मामले में दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई एक अक्टूबर तक के लिए टाल दिया है।दरअसल फर्जी डिग्री विवाद में केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को तलब करने की मांग की गई है। ईरानी पर चुनाव लड़ने के लिए चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारियां देने का आरोप लगा था।
पूर्व मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के डिग्री मामले में चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब दिल्ली निर्वाचन आयोग ने अदालत से कहा कि चांदनी चौक से वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव लड़ने वाले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के मूल हलफनामों और कुछ अन्य दस्तावेजों का पता नहीं चल रहा है। हालांकि चुनाव पैनल ने कहा कि यह सूचना उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है।
पीटीआई भाषा की एक खबर के अनुसार, एक अधिकारी ने अदालत के इस आदेश के बाद आयोग का पक्ष रखा कि ईरानी की शैक्षणिक योग्यता से जुड़े रिकॉर्ड पेश किए जाएं। ईरानी के खिलाफ चुनाव पैनल के सामने पेश हलफनामों में कथित रूप से गलत सूचना देने को शिकायत दर्ज करायी गई थी।
इसी बीच अदालत ने शिकायतकर्ता पत्रकार अहमेर खान का बयान दर्ज किया, शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि ईरानी ने वर्ष 2004, 2011 और 2014 में चुनाव पैनल में दाखिल अपने हलफनामों में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में विसंगतिपूर्ण सूचना दी और उन्होंने इस मुद्दे पर चिंता जताए जाने के बाद भी कोई सफाई नहीं दी। कानून की धारा 125 और आईपीसी के प्रावधानों के तहत यदि कोई उम्मीदवार जानबूझकर गलत जानकारी देता है तो उसे सजा दी जा सकती है।
स्मृति ने चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने सूचना में खुद को बीए पास (कला स्नातक ) बताते हुए 1996 में डिग्री पूरी करने की बात की थी। इसके बाद 2011 में राज्यसभा में परचा भरते समय दिए उन्होंने खुद को दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ करसपांडेंट (पत्रचार) से बीकॉम बताया था।इतना ही नहीं पिछले (2014) लोकसभा चुनाव अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए दाखिल अपने तीसरे हलफनामे में ईरानी खुद को दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रचार से बी कॉम बताया है। खान ने अदालत से स्मृति के 10वीं और 12वीं परीक्षा के बारे में जानकारी लेने के लिए सीबीएसई को भी निर्देश देने की मांग की है।