Home त्यौहार जानिए आखिर ईद अल-अधा का त्यौहार किसकी याद में मनाते हैं

जानिए आखिर ईद अल-अधा का त्यौहार किसकी याद में मनाते हैं

ईद-अल-अधा एक इस्लामी त्योहार है, जिसे इब्राहिम के द्वारा दी गयी कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। कहते हैं इब्राहिम ने अल्ला ताला की इच्छा का पालन करते हुए अपने बेटे की क़ुरबानी देने जा रहे थे तभी अल्ला ने अपना फरिश्ता भेज कर उन्हें यह करने से रोक लिया और कहा की अल्ला ने आपकी क़ुरबानी पहले स्वीकार कर ली है। दुनिया भर के मुसलमानों को इस त्यौहार को मनाते हैं।

namaj1

लोग क्या करते है?

ईद अल-अधा में बहुत से मुसलमानों प्रार्थना करते हैं और मस्जिद में प्रवचन को सुनने के लिए विशेष प्रयास करते हैं। वह नए कपड़े पहनकर अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों से भी मिलते हैं और कुर्बानी के रूप में एक जानवर की बलि चढ़ाते हैं। यह जानवर, उसी प्राणी का प्रतीक है जिसकी इब्राहिम ने अपने बेटे की जगह क़ुरबानी दी थी।

इस्लामिक पारंपरिक मान्यताओं को माने तो आज, ईद अल-अधा के दिन क़ुरबानी देने के लिए किसी जानवर की खरीद की जाती है बकरी या भेड़ हैं, इसे उद्दिया कह कर सम्भोदित करते हैं, लेकिन यह ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका के कई हिस्सों में कानूनी तौर पर सही नहीं है। इन देशों में, लोगों के समूहों को एक कसाई या कसाईखाने से एक पूरे शव की खरीद करनी होती है और इसे आपस में बाँटना होता है या सिर्फ ईद-अल-अधा पर एक सांप्रदायिक भोजन के लिए मांस के भागों की खरीद सकते हैं। इस पवित्र त्यौहार पर लोग अपने समूदाय के या फिर अपने आस पास के गरीब जाती के लोगों को पैसे भी दान करते हैं, ताकि वह भी मांस के भागों से बने खाद्ये पदार्थ की खरीद कर सके।

चारों ओर ईद अल-अधा की अवधि में, कई मुसलमान भाई एवं बहनें सऊदी अरब में स्थित मक्का एवं उसके आस पास के स्थानों पर, हज तीर्थयात्रा करने के लिए जाते हैं।कई – कई लोग इस पवित्र स्थान के दर्शन करने के लिए, सालों से पैसे जोड़ते हैं ताकि एक दिन वह हज तीर्थयात्रा कर सकें। कई देशों की सरकारें लोगों के आने जाने के लिए स्पेशल ट्रेवल पैकेज का भी इंतज़ाम करतीं हैं।

सार्वजनिक जीवन

इंडोनेशिया, जॉर्डन, मलेशिया, तुर्की, और संयुक्त अरब अमीरात(U.A.E) जैसे स्थानों में ईद अल-अधा एक सार्वजनिक अवकाश होता है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन या संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में इसे सार्वजनिक अवकाश नहीं घोषित किया गया है।

पृष्ठभूमि

ismailibrahim

इब्राहिम (ईसाई और यहूदी परंपराओं में जिन्हें इब्राहीम के नाम से जाना जाता है) को भगवान ने अपने वयस्क बेटे का बलिदान करने के लिए कहा था ।उन्होंने भगवान की बात मानी और माउंट मोरियाह पर अपने बेट इश्माएल (इस्माइल या इस्माइल) के साथ पहुच गये। बस वह अपने बेटे की क़ुरबानी देने ही वाले थे कि, एक फ़रिश्ते ने उसे रोक लिया और उसे अपने बेटे की जगह में बलिदान करने के लिए एक राम दे दी । कुछ लोगों का कहना है कि जिस बेटे का बलिदान दिया जाना था उसका नाम इसहाक (इशाक) था। भले ही विवादित तौर पर लोग जो भी कहें, ये दिन हमेशा से एक पवित्र त्योहार रहा है और आगे भी रहेगा।

इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा की टिप्पणियों पर आधारित है इसलिए साल के बीच एक विशेष माह की लंबाई भिन्न हो सकती हैं। इस कारण से, ईद अल-अधा की तारीखों की भविष्यवाणी को, धुल हिज्जा के महीने के शुरू में ठीक किया जा सकता है। यह त्यौहार की शुरुआत से लगभग 10 दिन पहले होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here