नमस्कार दोस्तों, उत्तर प्रदेश एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है, जी हां दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1857 की क्रांति के नायक राणा बेनी माधव सिंह श्रद्धांजलि अर्पित करने जा रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे की योगी जी आज रायबरेली में राणा बेनी माधव बख्श सिंह की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले हैं। हिंदुस्तान की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह लम्हा और खास हो गया है। क्योंकि राणा बेनी माधव सिंह को 1857 की क्रांति के उन नायकों में शुमार किया जाता है, जिन्हें इतिहास में चर्चा नहीं मिली। उनको सम्मान देने के लिए आज योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले है तो चलिए विस्तार में जानते हैं कौन हैं 1857 की क्रांति के नायक राणा बेनी माधव सिंह?
CM Yogi Adityanath Will Pay Tribute To Rana Beni Madho Singh News
आपके मन में भी यह सवाल जरूर आ रहा होगा की आखिरकार राणा बेनी माधव सिंह कौन थे ? और आप ही नहीं करोड़ो लोग ऐसे है जो उनके बारे में नहीं जानते है। इतिहास में मौजूद इसकी वीर गाथाओं खुल कर सामने नहीं लाया गया, यही कारण है की आज हमे इनके बारे में नहीं मालूम। लेकिन अबउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक बार फिर राणा बेनी माधव सिंह चर्चाओं में आ गए है, और हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है तो चलिए काम शब्दों में आपको बताने का प्रयास करते है।
कौन हैं 1857 की क्रांति के नायक राणा बेनी माधव सिंह?
राणा बेनी माधव सिंह बैसवारा का महानायक, आपको बता दे की यह एक ऐसे महानायक थे जिन्होंने रायबरेली तथा उन्नाव जिले के बड़े हिस्से में क्रांति की मशाल जलाई यह शंकरपुर के शासक एवं प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आगामी कतार के प्रमुख नेता और महान संगठनकर्ता थे।
रायबरेली 18 महीनों तक आज़ाद रहा था
जिन्होंने हजारों किसानों मज़दूरों की मदद से अंग्रेजी शासन को 18 महीनों में चूर-चूर कर दिया और अंग्रेज त्राहिमाम-त्राहिमाम कहते हुए भाग खड़े हुए। गोरिल्ला जंग छेड़ने वाले पहले महानायक कोई और नहीं बल्कि राणा बेनी माधव सिंह ही थे। जिसकी काट तलाशने में अंग्रेजों को न जाने कितना जतन करना पड़ा था। इनके नेतृत्व में रायबरेली सन 1857 और 58 में 18 महीनों तक आज़ाद रहा था।
राणा बेनी माधव सिंह ऐसे हुए थे शहीद
बेगम हजरत महल भी इनसे इतनी प्रभावित थीं, की इनको दिलेरगंज की उपाधि से सम्मानित किया था और आजमगढ़ की जिम्मेदारी प्रदान की थी। कहा जाता है नेपाल के राणा जंग बहादुर सेना से मुकाबला करते हुए नेपाल की तराई में नवंबर 1869 में शहीद हो गए। राणा बैसवाड़ा गौरव के रूप में आज भी कथा कहानियों तथा लोक गीतों के नायक बने हुए हैं। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दी गई वीडियो को देख सकते है। देश और दुनिया से जुड़ी ताज़ा खबरे पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहे।