उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कियाड़ा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने का काम जारी है। मजदूरों को सुरक्षित वापस लौटने में पूरी रात लग सकती है। सुरंग से बाहर आने के बाद मजदूरों का ठीक से इलाज किया जाएगा। कहा जा रहा है कि सुरंग में अत्यधिक ठंड होने की वजह से मजदूरों की आंखें सूज गई हैं। इस तरह की स्थिति में सभी को अस्पताल ले जाना बहुत महत्वपूर्ण है। इस दौरान हमारे देश के प्रधानमंत्री ने भी मुख्यमंत्री धामी से फोन के माध्यम से संपर्क में बने रहने का संदेश दिया है।
Who is Baba Bokh Naag Devta Kaun Hai?
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिल्कियाड़ा सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए बड़ी मुश्किल की चुनौती जारी है। इस घटना के बाद सुरंग से बाहर निकले गए कुछ मजदूरों की स्वास्थ्य स्थिति खराब बताई जा रही है। उनकी आंखों में सूजन हो गई है, जिसकी वजह से उन्हें ठंडे प्रदेशों में इलाज की आवश्यकता है।
सुरंग में मजदूरों की सुरक्षा के लिए सुरंग में पहुंचे राहत टीमें ने प्रबंधन के साथ मिलकर काम कर रही हैं। लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए उनके परिवारजनों को भी आश्वासन दिया जा रहा है।
कौन है बाबा बौख नाग देवता? श्रद्धालुओं का दावा जान कर उड़ जाएंगे होश!
मुश्किल हालात में लोगों की मदद के लिए प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने त्वरित कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में तत्काल कदम उठाए जाएं और लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए।
इस मुश्किल समय में प्रशासन और सेना के जवानों की समर्थन और सहायता से लोगों की सुरक्षा की जा रही है। उत्तराखंड की सरकारें और संबंधित अधिकारी बचाव कार्य में जुटे हैं और सुरंग से फंसे लोगों की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
कैसे पहुंचे बाबा बौख नाग ?
इस हादसे के साथ साथ लोगो के मन मैयाह सवाल भी है की कौन है बाबा बौख नाग देवता। बताया जा रहा है की बाबा बौख नाग देवता की उत्पत्ति बासगी के रूप में हुई है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण टिहरी जनपद के सेम मुखेम से पहले यहाँ पर पहुंचे थे। आसपास के लोगो के बीच में यह मंदिर काफी ज्यादा लोकप्रिय है। अगर कोई निसंतान दंपत्ति यहाँ पर आते है तो उनकी इच्छा पूरी हो जाती है। खबर को जल्दी से शेयर करें।
इसीलिए यहाँ पर हार साल मेला लगता है। इलाके के साथ साथ बाबा बौख नाग देवता अन्य छेत्र के भी ईष्ट देवता है। आसपास के लोग अपनी रक्षा करने के लिए इस मंदिर में आते है।