What is Death Warrant: डेथ वारंट क्या होता है? पढ़िए! ब्लैक वारंट के बारे में पूरी जानकारी: निर्भया केस में आज दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस केस के सभी चारों आरोपियों को मौत की सजा सुनवाई है। मौत की सजा सुनाने के साथ ही कोर्ट ने दोषियों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी दिए जाने का निर्देश दिया है। अब इन दोषियों के पास चौदह दिन का समय है अपनी सजा के खिलाफ रिव्यु पिटीशन दाखिल करने का। निर्भया केस में आज अदालत ने डेथ वारंट जारी कर दिया है। आज सबसे डेथ वारंट या ब्लैक वारंट शब्द सबसे ज्यादा सुर्खियों में है। हम इस आर्टिकल में बताएंगे की डेथ वारंट क्या है। कैसा होता है ब्लैक वारंट? और इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में…
What is Death Warrant
दोषी को ‘तब तक फांसी के फंदे पर लटकाकर रखा जाए, जब तक कि उसकी मौत न हो जाए’। यह वाक्य क्रिमिनल प्रोसीजर के फॉर्म नंबर 42 पर छपे तीन वाक्यों के दूसरे भाग का हिस्सा है, जिसे ब्लैक वारंट के नाम से भी जाना जाता है। फॉर्म 42 को ‘वारंट ऑफ एक्जीक्यूशन ऑफ ए सेंटेंस ऑफ डेथ’ कहा जाता है।
डेथ वारंट या ब्लैक वारंट जेल प्रभारी को संबोधित करते हुए भेजा जाता है, जहां पर मौत की सजा पाए दोषी को रखा जाता है। इस वारंट में दोषी के नाम के साथ ही मौत की सजा की पुष्टि भी की जाती है।
इस वारंट में दोषी को फांसी दिए जाने का समय और स्थान सभी का उल्लेख होता है। डेथ वारंट पर उस जज के हस्ताक्षर भी होते है, जिसने दोषी को मौत की सजा सुनाई होती है।
डेथ वारंट में यह साफ लिखा होता है की दोषी को फांसी के फंदे पैट तब तक लटका कर रखा जाए तब तक वह मर नहीं जाता। डेथ वारंट में दोषित का नाम आदि की सभी चीजों की जानकारी मौजूद होती है।