अमेरिका-चीन ट्रेड वार के चलते क्या होगा इसका प्रभाव भारत और बाकि देशों पर,जानें किसे होगा घाटा-किसे लाभ दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति अमेरिका और चीन के बीच व्यापर को लेकर विवाद बढ़ गया है| अगर उनका गतिरोध व्यापक आर्थिक संघर्ष में तब्दील हो जाता है तो इसका दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? भारत सहित दुनिया पर इसका क्या असर पड़ेगा चलिए जानते है इसके बारे में| कई विशेषज्ञों की माने तो इससे चीन को मंदी तक का सामना करना पड़ सकता है| इससे अमेरिका की खपत भी प्रभावित होने की संभावना है|
अमेरिका ने चीनी सामानों पर टैक्स बढ़ाया
बीते शुक्रवार को अमेरिका ने 200 बिलियन डॉलर के मूल्य वाले चीनी सामानों पर 25 प्रतिशत तक टैक्स बढ़ाने का निर्णय यह एक ऐसा कदम जिसने 5,700 से अधिक उत्पाद श्रेणियों के संभावित रूप से सामानों के व्यापार को प्रभावित किया। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैक्स को लेकर युद्ध का एक दौर शुरू हो गया है| शनिवार को वाशिंगटन ने चीन के शेष सभी आयातों पर टैक्स लगाकर नए दौर का थप्पड़ जड़ दिया है। ये टैक्स लगभग 300 बिलियन डॉलर के व्यापार के सामानों की व्यापक रेंज पर लागू होते हैं।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमें चीन के शेष सभी आयातों पर शुल्क बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। ट्रंप ने शुक्रवार को कहा था कि दोनों पक्ष एक समझौते के पास पहुंचने के करीब थे, लेकिन चीन ने फिर से बातचीत करने का प्रयास किया। वहीं दूसरी ओर चीनी पक्ष लगातार उम्मीद के मुताबिक आवाज उठाता रहा।
शनिवार को वार्ता में चीन के मुख्य वार्ताकार वाइस प्रीमियर लियू हे ने कहा कि बातचीत नहीं टूटी है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि दोनों देशों की बातचीत के दौरान छोटे झटके सामान्य और अपरिहार्य हैं। आगे देखते हुए हम अभी भी आशावादी हैं।
इसके विपरीत अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्टीव मनुचिन ने कहा कि वर्तमान में बीजिंग के साथ कोई व्यापार वार्ता तय नहीं है। हालांकि ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि जून के महीने में जापान में जी-20 आर्थिक समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो सकती है।
ट्रेड वार का क्या होगा भारत पर प्रभाव
इसका शेयर बाजार पर अल्पकालिक प्रभाव हो सकता है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में बेंचमार्क सेंसेक्स वैश्विक बाजारों के साथ लगातार गिर रहा है, जोकि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वार से घबरा गया है। लंबी अवधि में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी को उभरते बाजारों के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता है। वहीं ट्रेड वार कुछ देशों के लिए सिल्वर लाइन जैसा है।
संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वार से लाभ के लिए खड़े होने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीएडी) द्वारा फरवरी में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी निर्यात में 300 बिलियन डॉलर में, जो अमेरिकी टैक्स के अधीन है, केवल 6% ही अमेरिका में फर्मों द्वारा चुनाव किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ के सदस्यों को सबसे अधिक लाभ होने की संभावना है क्योंकि यूनियन के निर्यात में 70 बिलियन डॉलर बढ़ने की संभावना है। जापान और कनाडा के प्रत्येक निर्यात में 20 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अन्य देशों को भी ट्रेड टेंशन का लाभ हो सकता है, जिसमें वियतनाम को 5% निर्यात लाभ, ऑस्ट्रेलिया (4.6%), ब्राज़ील (3.8%), भारत (3.5%), और फिलीपींस (3.2%) शामिल है।