नमस्कार दोस्तों, जैसा कि आप सभी को मालूम ना आए दिन हमें सीवर साफ करने वाले मजदूरों की मृत्यु की खबर सामने आती रहती है, न जाने हर साल कितने मजदूर की सीवर साफ करने के दौरान मृत्यु हो जाती है। इसी गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी अधिकारियों को मरने वालों के परिजनों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ‘केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए’
सीवर सफाई के दौरान मौत होने पर 30 लाख का मुआवजा देना होगा
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि सीवर और नालो की सफाई करने के दौरान स्थायी दिव्यांगता का शिकार होने वालों को न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। फैसला सुनाते हुए, जस्टिस भट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी दिव्यांगता से प्रभावित हैं, तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का मुआवजा देना होगा।
Sewer Cleaning Death News
आपकी जानकारी के लिए बता दे की अदालत में कई आदेश जारी किए हैं, जिन्हे पढ़ा नहीं गया। पीठ ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि सीवर की सफाई करने के दौरान मजदूरों की मृत्यु ना हो। और इसके अलावा, उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से न रोका जाए।यह फैसला एक जनहित याचिका पर आधारित है और विस्तारित आदेश की प्रतीक्षा होने वाली है।
5 सालों में कितने लोगों की हो चुकी मृत्यु?
आपकी जानकारी के लिए बता दे की साल 2022 में लोकसभा में पेश हुए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में हिंदू राष्ट्र (भारत) में सीवर और और सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान कम से कम 347 मजदूरों की मृत्यु हो चुकी है। जिसमें से 40% मजदूरों का मृत्यु केवल उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुई है। अन्य आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का फैसला लिया है। देश और दुनिया से जुड़ी ताज़ा खबरे पढ़ने के लिए हमारे साथ बने रहे।