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राज्य सभा: पाँच साल में पहली बार बोलने के लिए खड़े हुए सचिन तेंडुलकर, लेकिन कांग्रेस ने नहीं दिया बोलने|

क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंडुलकर और राज्य सभा के सदस्य गुरुवार को राज्य सभा में बोलने के लिए अपनी सीट से खड़े हुए, लेकिन विपक्ष के जोर दर हंगामे के कारन वह कुछ बोल ही नहीं पाए| भारत रत्न क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर 2012 में राज्य सभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किए गए और आज पाँच सालो में पहली बार बहस के लिए राज्य सभा से खड़े हुए| सचिन बच्चो के खेलने के अधिकार दिए जाने बारे में अपने विचार रखने वाले थे| लेकिन विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में पीएम मोदी द्वारा टिप्पणी और 2-जी घोटाला केस में आए आज के फैसले, जिसमे सभी मंत्री और अन्य आरोपियों का निर्दोष पाए जाने के कारण, सदन में कांग्रेस ने जम जमकर हंगामा किया और सदन की कार्यवाही को चलने नहीं दिया| सदन में हंगामा बढ़ते देख राज्य सभा की कार्यवाही को 20 मिनट के लिए रोका गया|

राज्य सभा: पाँच साल में पहली बार बोलने के लिए खड़े हुए सचिन तेंडुलकर, लेकिन कांग्रेस ने नहीं दिया बोलने|


बाद में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंती मोदी के द्वारा विपक्ष के सवालो का जवाब न देने पर निशाना साधा| गुलाम नबी ने कहा की कांग्रेस के सदस्य पिछले एक हफ्ते से ये मांग कर रहे है की प्रधानमंत्री सदन में आए और गुजरात चुनावो के प्रचार के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ की गई टिप्पणी पर, स्पष्टीकरण दे|

भारत रत्ना सचिन तेंडुलकर को राज्य सभा में नहीं बोलने देने पर, फिल्म अभिनेत्री और राज्य सभा सदस्य जया बच्चन ने विपक्ष पर तंज कसा है| एएनआई को दिए अपने बयां में जय ने कहा की सचिन, जिन्होंने भारत का विश्व भर में नाम रोशन किया है| उन्हें राज्य सभा में बोलने का मौका तक नहीं दिया गया| यह काफी शर्मनाक है| जबकि सभी सदस्यों को पता था की आज की विषय पर बात होनी है| उन्होंने एक प्रश्न भी किया, क्या सिर्फ नेताओ को बिलने का हक़ है?

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आपको बता दें की राज्य सभा की कार्यवाही में भाग न लेने के कारण सचिन सभी सदस्यों के निशाने पर थे| इस बार सचिन ने सदन में नोटिस देकर बहस की अगुवाई करने कर निर्णय किया था| आपको बता दें की सचिन साल 2012 में राज्य सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे| लेकिन अभी तक किसी भी विषय पर चर्चा नहीं की| सचिन राइट टू प्ले पर बहस करने जा रहे थे| इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी भी राइट टू प्ले पर अपनी रे रख चुके है|

पीएम मोदी ने खेल के क्षेत्र में बच्चो के भाग ना लेने और उनके मोटापे को लेकर काफी चिंता व्यक्त की थी| प्रधानमंत्री ने देश के बच्चो में बढ़ते मोटापे की समस्या पर भी विचार विमर्श किया| न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 1.80 करोड़ बच्चे मोटापे की समय से ग्रसित हैं। जिसमे दो साल से 19 साल तक के युवाओं की संख्या 1.44 लाख सबसे ज्यादा पाई गई।

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